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Yasho Vardhan Ojha

Yasho Vardhan Ojha

@shobha60
(10)

#Utmost /अधिकतम

विज्ञान हमसे यह कहता है,
कि अधिकतम दर्द,
सिर्फ सोलह सेकंड तक,
ही रहता है।
मगर दर्द,
बहुत पुरानी चोट का,
या,
किसी रिश्ते की खोट का,
रह रह के उभरता है।
दिलाता है याद,
उसी दर्द का, या,
रिश्तों पर पड़े,
बरसों की गर्द का।।

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#Uplift /उत्थान

अभिभावक को चाहिए दे बच्चों पर ध्यान,
उन्हें सिखाने के लिए मगर न खींचे कान।

मगर न खींचे कान, प्यार से सब समझाए,
ना माने यदि बात, प्यार ना उसे दिखाए।

प्रेम न पाना उसकी खातिर दंड बड़ा है,
प्रेम विधाता ने तो उसके हृदय जड़ा है।

बच्चे सबको प्यारे सबकी उनमें बसती जान,
प्रेम दिया तो सच मानो होगा उनका उत्थान।।

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#Unique /अनूठा

अंधकार से भरी निशा में,
यज्ञ कौन करता है,
दशों दिशा स्तब्ध हों ऐसा,
मौन, कौन भरता है।

क्या यह हठ है? कोई शठ है,
करता कुछ षड्यंत्र?
या प्रभु का प्रेमी है कोई जिसको,
मिला प्रेम का मंत्र?

प्रेम प्रकृति का परम सत्य है,
प्रभु खा लेते जूठा,
प्रेम करे तो सब जग साधे,
प्रेम प्रयोग अनूठा।।

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#Thrilling /रोमांचकारी

प्राण बसते हैं हमारे देह की इस खोह में,
दान दाता ने दिया है ज्ञान का, सच खोजने।
बोध है, कि क्या ग़लत है और क्या होगा सही,
मगर मन चंचल भटकता इंद्रियों के मोह में।

सुख सभी मिलते उसी की प्रेरणा के ओज से,
आंख सुंदर दृश्य, रसना तृप्त होती भोज से,
घ्राण का सुख है सुगंधि, कर्ण मीठे बोल से,
मुख सुखी यदि वचन बोले शब्द सारे तोल के।

दान में इतने मिले सामान का कुछ अर्थ है,
खोज ना पाए उसे तब ये जीवन व्यर्थ है।
वही सज्जनानंद दाता पुरारि, वो त्रिपुरांतकारी,
अंत: पटल तक जो रोमांचकारी।।

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#Thankful /शुक्रगुजार

गुरू तो बिता लिया है,
बस खींच-खींच कर।
और शुक्र गुजार लूंगा,
पौधों को सींच कर।
शनिवार गुज़र जाएगा,
कपड़ों को फींच कर।
अब प्रश्न है कि,
आते रविवार क्या करूं।
जो दोस्त आएं उनका,
मैं शुक्रगुजार हूं।।

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#Talketive /बातूनी

बहुत दिनों से वह बैठा था
घर में बस यूं ही बेकार।
ढूंढ़-ढूंढ़ कर हार गया था,
मिला न जब कोई रोजगार।

दाढ़ी पहले ही से बढ़ी थी,
बस माथे पर चंदन लेप।
स्वांग रचाया फिर साधु का,
राम रटन की लगा ली टेक।

पीपल के नीचे जा बैठा,
और जला ली धूनी।
वहां झाड़ने लगा प्रवचन,
बंदा था बातूनी।

चल निकली दूकान झूठ की,
रहा न कोई काम।
दास मलूका बोल गए हैं,
सबके दाता राम।।

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करूं प्रार्थना हाथ जोड़कर,
मैं तो मूरख, खल, कामी।
मेरे अवगुन चित न धरो प्रभु,
क्षमा करो मेरे स्वामी।

मगर प्रार्थना सही न लगती,
मन में आता सदा विचार,
शक्ति सोचने की दी तुमने,
और, हाथ जोड़ने का आचार।

मूरख कैसे हो सकता हूं,
इतनी तो है मति मेरी।
ज्ञान-चक्षु भी खुल जाते हैं,
जब करता भक्ति तेरी।।


#Stupid /मूरख

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#Sleepy /उनींदा

उनींदी आंख में,
सपने हजार रखे थे,
पलक झपकते,
सारे पराए हो गए।

अब, न जाने कब,
फिर से नींद आए।
गुजरते पल भी तो,
दिन के साए हो गए।

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#Sarcastic /कटु

पिव बोल रहे मीठी बातें,
मन है बड़ा सशंकित।
यदि बातों की जमे चाशनी,
होय हृदय पर अंकित।

खुरच-खुरच कर लाख छुड़ाई,
छोड़े ना हरजाई।
देख-देख कर सब मुस्काए,
जग में हुई हंसाई।

इसीलिए मैं करूं याचना,
और न मीठा बोल।
कटु बोली तो तुरत उतरती,
जिनका ना कुछ मोल।।

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क्रूर/निष्ठुर/निर्मम

किसी का खेल हो, जब,
किसी की जान ले लेना।
भोजन फेंकना लेकिन,
किसी भूखे को ना देना।
तो ऐसा कार्य निष्ठुर है,
और ऐसी सोच है निर्मम।

भोजन के लिए जब,
जीव कोई मारते हैं हम,
जीने के लिए इसकी,
इजाज़त देंगे सारे धर्म।
मगर आनंद की खातिर,
अगर करते हैं ऐसा कर्म,
तो जीवन व्यर्थ ही है फिर,
यही है क्रूरता चरम।

#Ruthless

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