ग़ज़ल
वो मेरे न हुए तो क्या हुआ,
इश्क़ मेरा तो अब भी वफ़ा हुआ।
चाँद तन्हा नहीं किसी रात में,
मैं भी अपनी तरह से रौशन हुआ।
वो जो ख़्वाबों में रोज़ आते थे,
अब हक़ीक़त से वो जुदा हुआ।
दिल के आईने में बसा था जो,
आज अश्कों में क्यों धुला हुआ।
मैंने चाहा था दिल से उसको राजेश,
वो किसी और का हुआ तो क्या हुआ।