॥ सनातन की ज्योति ॥
सनातन की जोत है अमर,
हृदय में जिसके बसे सागर।
धर्म, करुणा, प्रेम का दीप,
सुख-दुख में जो बने साथी चिर।।
गंगा-यमुना की बहती धार,
कुंभ में होता आह्वान अपार।
त्रिवेणी के संगम का ये जल,
शुद्ध करे तन, मन और अटल।।
वेदों की गूँज, ऋषियों का ज्ञान,
सिखाता हमें जीवन का मान।
"वसुधैव कुटुंबकम्" का मंत्र,
धरती बने एकता का केंद्र।।
भक्ति में शक्ति, शक्ति में शांति,
सनातन सिखाए सच्ची प्रार्थना गहरी।
पर्वतों की गूँज, नदियों का गीत,
सनातन का हर कण है पुनीत।।
चलो, उठो, जागो, बढ़ो,
महाकुंभ का आह्वान सुनो।
धर्म का दीप जलाना है,
मानवता का मर्म सिखाना है।।
सनातन की जोत सदा जले,
प्रेम और शांति की राह चले।
महाकुंभ का पर्व जो आए,
हर आत्मा को अमृत बरसाए।। - ©️ जतिन त्यागी