जनमीं धरा पर, सादगी की मूरत,
ज्ञान की गंगा, नीति की सूरत।
डॉ. मनमोहन, युग का अभिमान,
भारत के भाग्य विधाता, महान।
पंजाब की माटी में जन्म लिया,
मेहनत से स्वप्नों को सत्य किया।
विद्या के दीप जलाए जो ऐसे,
दुनिया ने देखा, वो अद्भुत पैसे।
आर्थिक संकट में जब देश घिरा,
संभाला था तुमने, नहीं डिगा धरा।
उदारीकरण का द्वार जो खोला,
हर कोना हुआ रौशन, हर दिल बोला।
प्रधानमंत्री बन देश को संजोया,
संविधान के मूल्यों को उच्च किया।
शांति के संदेश से दुनिया को जीता,
संवाद में विश्वास, युद्ध से दूर रीता।
कभी न आवाज ऊंची, न क्रोध दिखाया,
मुद्दों को हल्का नहीं, पर हल करवाया।
सादगी भरा जीवन, सेवा का सार,
हर दिल में बसेगा तेरा अपार।
आज देश गमगीन, तेरा न होना भारी,
आसमान भी रोए, न रहे वो सितारे।
डॉ. मनमोहन, तेरी यादें अमर रहेंगी,
भारत तेरे ऋणी रहेगा, ये वचन कहेंगी।
श्रद्धांजलि तुम्हें, हे भारत के लाल,
तेरा जीवन रहेगा प्रेरणा का मिसाल।
सादगी से जीना, कर्म से आगे बढ़ना,
यही सिखाया तुमने, हर कदम पर लड़ना। -©️ जतिन त्यागी