के कभी तुमसे मुलाक़ात पर मुलाक़ात होजाये कभी तुम्हें मुसलसल देखना नसीब होजाये, हम तो रोज़ाना कोशिश करते हैं लफ़्ज़ों से बयां करने की

मगर कभी तुमसे भी इज़हारे-ए-मोहब्बत होजाये।


💕🕊️✨



Arru ✍🏻

Hindi Shayri by Arru : 111938169
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now