हर चीज बिकती है जनाब बाजार में ,,
मगर क्यां भरोसा भी बिकता हे बाजार में ?

हर चीज का मोल होगा दुनिया में मगर क्यां ,,
दिल के रिश्ते भी बिकते है कीसी बाजार में ?

महंगी से महंगी घड़ि मील जाऐगी दुनिया में ,,
मगर क्यां वक्त बिकता है किसी बाजार में ?

देकर समय को मात शायद जिंदगी खरीद पाते ,,
मगर क्यां सांसे खरीद पाते किसी बाजार में ?

खरीद कर पत्थर की मूरत ले आओगे घर ,,
मगर क्यां ईश्वर भी बिकते हैं किसी बाजार में ?

शौक होते तो पूरे करने को खरीद लाते ,,
मगर क्या सपने भी बिकते हैं किसी बाजार में ?

शायद रिश्ते भी बिकते हो बाजार में मगर ,,
क्या मां-बाप भी बिकते है किसी बाजार में ?

....अमी.…

Hindi Poem by ︎︎αʍί.. : 111935119
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