रामनवमी
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हे राम! हे राम!
तुम देख रहे हो न
आज तुम्हारे जन्म पर
ख़ुशियाँ मनाई नहीं जातीं
ख़ुशियाँ मनाने का केवल
किया जाता है घिनौना दिखावा।
निकाले जाते हैं जुलूस
धर्म के नाम पर करते हैं छलावा।
तुम्हारे नाम को भुनाने का
प्रयास जारी है।
पर तुम्हारे संस्कार अपनाना
कितना भारी है।
तुम पिता की आज्ञा पालन को
राजपाट छोड़ चले थे।
भरत भाई ले चरण पादुका तिहारी
सिंहासन पर रख चले थे।
आज देखो तुम्हारे नाम का सहारा ले
सत्ता लौलुप, सिंहासन को
येन केन प्रकारेण
हथियाने में लगे हैं।
सत्ता पाने हित दुरुपयोग कर
तुम्हारे नाम का
देश के नागरिकों को आपस में
लड़वाने में लगे हैं।
एक ओर रमज़ान का
पाक महीना था।
तो दूजी ओर पावन
नव देवियों का
नवरात्रि नगीना था।
कभी मिलजुल मनाते थे
सब एक साथ त्यौहार।
किसी ने उकसाया और
मच गया हर ओर हाहाकार।
हे राम! आज रामनवमी पर
समूचा देश हो रहा शर्मसार।
हे मर्यादा पुरुषोत्तम राम!
तुम्हारी मर्यादा को ये
कर रहे तार-तार।
अब तुम बंद कर दो
इस धरती पर
जन्म लेना बार-बार।
आना ही हो तो
आओ लेकर अवतार
ताकि कर सको तुम
दुष्ट दानवों का संहार।।
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रचनाकार - प्रमिला कौशिक
नई दिल्ली
31/3/2023