टूटे जब हर तरफ से, सुकूं कहीं मिल न पाए 
बिछड़े पुराने कुछ दोस्त आज बहुत याद आये....
दिन बीतेते मस्तियों में, शामें शरारतों में गुज़र जाती 
रात में सोने जाते जब, दिन भर की बातें याद आती 
यादों के बादल आज फिर उमड़ घुमड़ कर हैं छाए 
बिछड़े पुराने कुछ दोस्त आज बहुत याद आये ....
काश ! वो दिन , वो दोस्त फिर से लौट आएं 
टूटी है जो मन की दीवार, वो फिर से जुड़ जाए
लौट जाएं उन्हीं गलियों में, जहां बचपन के दिन बिताए 
बिछड़े कुछ पुराने दोस्त आज बहुत याद आये ....
बिछड़े कुछ पुराने दोस्त आज बहुत याद आये।
-Priya Vachhani