22/11/2022
बाज़ार (रचनाकार - प्रमिला कौशिक)
रिश्तों का बाज़ार लगा है
देखो कितना कौन सगा है।
रिश्ते भी सामान हो गए
सस्ते कितने अरमान हो गए।
हर रिश्ते का मोल लगा है
स्वर्णाभूषण दे, ले जाओ यह रिश्ता
खनकते सिक्के दे सकते हो
तो ले जाओ यह कीमती रिश्ता।
हर एक रिश्ते का अनुबंध है कोई
सेवा देकर ख़रीद लो यह रिश्ता।
करो या न करो, दिखाओ प्यार
तो भी बिक जाता कोई भी रिश्ता।
जैसे ही अनुबंध ख़त्म हो जाएगा
हर रिश्ता अपनी मौत मर जाएगा।
जीवन में जो रिश्ता था अनमोल
बस शेष वही रिश्ता रह जाएगा।
- - -