वो ख़ाकी पहन निकलता है
एक अनोखी ख़ुशी लेकर
अपनों से दूर, यादो के सहारे...
एक माँ से आशीर्वाद लेकर,
हजारो माँ की सेवा करता है...
सड़क पर सोता, खाना ठंडा खाता
निराश हो जाता जब कोई नही मानता
तुम्हे ख़ुशहाल देख वो खुद भी मुस्कुराता
जब जाके वो एक पुलिसवाला कहलाता...
ओर फ़ौजी के बारे में क्या कहूं?
सरहद पर हिन्द सपूत, हर हाल में डटा है
सर्द-गर्म सी विपरीत परिस्थिति भी हँसकर सहता है
यहां हर गाँव का लाल फ़ौजी बनना चाहता है
ये मेरे भारत मे संभव है क्योंकि यहाँ रक्त सहित,
रग-रग में जज़्बात देशभक्ति का बहता है