● किसी अपने को हँसाना-परिवार या दोस्तों के साथ मोज-मस्ती करना ये तो हर कोई करता है,
लेकिन आपने तो अजनबी होते हुए भी एक रूठे हुए को हँसाया...
◆शायद आपकी इस अदा से प्यार हमें कल भी था और आज भी होता!!!◆
● ये कहानी शुरू तो हो गई थी बहोत पहले ही लेकिन शायद उस वक़्त हम नादान थे,,,,
हमने प्यार का इज़हार तो कर दिया लेकिन प्यार जैसे अधूरे शब्द का अर्थ पता ना था,,,
प्यार हर कोई- हर किसीको हर रोज़ होता है,,
जूठी तो नहीं होती हर बात लेकिन प्यार शब्द का अर्थ भी तो आपने ही समजाया...
◆शायद आपकी इस अदा से प्यार हमें कल भी था और आज भी होता!!!◆
● मेरा शायरी लिखना, कविताए लिखना शायद किसीको पसंद ना था,,,
तारीफ तो हर कोई कर देता है पर सच्चे मन से दो बुरी बातें भी अच्छी लगती है,,,
हम तो यही कहेंगे मेरी इस पेन को, इस पेन से लिखते हुए इंसान को, और इस नासमझ मन को लिखना आपने ही सिखाया...
◆शायद आपकी इस अदा से प्यार हमें कल भी था और आज भी होता!!!◆
● अपने के लिए हर कोई अच्छा ही हो यही चाहता है लेकिन मुझे एक सवाल है!!,,,
हमारे मिलने से पहले ना आपसे वाकिफ थे ना आपके होने से वाकिफ थे, उस वक़्त मेरे लिए आप अनजान थे लेकिन क्या हम भी आपके लिये अजनबी थे??,,
क्या में आपके लिए अनजान इंसान था??
ये अनजान के लिए भी अच्छा सोचना अच्छा करना भी दिखाया...
◆शायद आपकी इस अदा से प्यार हमें कल भी था और आज भी होता!!!◆
● कहा तो था आपसे प्यार है
शायद दिल की हसरत भी यही थी,,,,
फिर किस्मत का कुछ ऐसा मोड़ आया की, मेरी किस्मत मेरे हाथ में होते हुए भी मेरी लकीरे खुद मुझसे ही रुक्सत हो गई,,,
हमें फिर भी कोई शिकायत ना हुई बस एक ख्वाहिश थी आप सच्चे दोस्त बनो,,
प्यार से भी बढ़कर दोस्ती होती है ये भी तो आपने ही फ़रमाया...
◆शायद आपकी इस अदा से प्यार हमें कल भी था और आज भी होता!!!◆
● दिल खोलकर रखा था आपके आगे, हमारे लिए इतने खास थे जो लंबी राते जागे,,,,
ना दिन- ना रात- ना कोई मौसम से- इस नाजुक रिश्ते को फर्क पड़ता था,,,
बस सोते हुए भी एक जल्दी उठके बातें करने का मज़ा था,,
कब सुबह हो और में कुछ लिख़ु उस बात का इंतज़ार रोज़ एक कागज़ किया करता था...
◆शायद आपकी इस अदा से प्यार हमें कल भी था और आज भी होता!!!◆
● आज तक हमने दुसरो के लिए जिया,खुद के लिए कभी नहीं सोचा,,,,
प्यार किया नहीं जाता बस हो जाता है, आपकी फितरत कोई भी हो लेकिन उसमें भी कही ना कही एक फ़िक्र छुपी हुई होती है,,,
आप हमें कुछ मानो या ना मानो हमने तो आपको ही सब कुछ माना है,,
लोग तो कहेंगे कुछ भी, लिखना भी छोड़ा था इस वजह से,
लेकिन आज दोबारा लिखना शुरू किया और खुद के लिए जीना भी आपने ही सिखाया...
■ चाँदनी