बंटवारा
आज देश फिर रोया है,
चैन की नींद ना सोया है
भीग गयी ये आँखे फिर से,
कहर ये कैसा ढाया है |
विधवा हुई वो प्यारी गुड़िया,
क्या उसने था पाप किया,
नन्हे बच्चों को नफरत की,
आग ने फिर से जला दिया |
बिलख उठी फिर धरती अपनी,
माँ ने बेटा खोया है,
देख कफन में लिपटा बच्चा,
बूढ़ा बाप फिर रोया है |
रात कभी ना सो पाता मैं,
कब दंगा कोई हो जाए,
फिर चीखें गूंजे और फिरसे,
खून का दरिया बह जाए |
योगी ने भी कैसा देखो,
बीज नफरत का बोया है,
धर्म का धंधा करके देखो,
नींद चैन की सोया है |
हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई,
फर्क ना मुझको आता है,
देखा चोट खाने पे मैंने,
खून लाल ही आता है |
बीजेपी ना कांग्रेस ये,
कोई काम ना आया है,
मजहब का ही नारा देकर,
वोट सभी ने कमाया है |
मैं तो हूँ पागल प्रद्युम्न,
यूँ ही लिखता जाऊंगा,
कोई नहीं सुनेगा मेरी,
इक दिन यूं ही मर जाऊंगा |
काश कोई दिन ऐसा आए,
चैन से मैं भी सो पाऊ,
धर्म का धंधा मिट जाए और,
प्यार से मैं भी जी पाऊ |
बंद करो ये मंदिर मस्जिद,
भाई भाई मिल जाओ,
झाँक के भीतर देखो अपने,
मालिक सबका एक पाओ |
माफ करो भाई मुझको की,
शब्द मेरे ये कड़वे है,
समझो मेरे दिल को तो जानो,
पाप कोई ना समेटे है |
आज सुबह जब खबर पढ़ी वो,
दिल मेरा था सहम उठा,
रोया कुछ वर्ष पहले ऊरी,
अब पुलवामा चीख उठा |
ये कश्मीर जन्नत थी अपनी,
नर्क है इसे बना डाला,
खुद वो भी रोता है आखिर,
क्यूँ था हुआ वो बंटवारा |
#KAVYOTSAV -2 #kavyotsav -2