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एक फौजी धर्म उनका, ना कोई भी जात है, जाँ लुटा दे चुटकियों में, दिल है या फौलाद है | ना कोई है होली और, ना ही कोई दिवाली है, कंधो पे बस बोझ उनके, देश की रखवाली है | ना कोई है ईद और, ना ही कोई रमज़ान है, लेके वो तो बैठे अपनी, मुट्ठीयों में जान है | दिल है उनका भी धड़कता, उनका भी परिवार है, फिर भी अपने देश पे वो, करते जाँ न्योछार है | वीर के उस दिल को यारों, कौन समझ कभी पाता है, मुल्क को रोशन करने खातिर, खुद बाती हो जाता है | ना कभी है चैन मिलता, ना ही अमन मिल पाता है, देश के उन वीरों को तो, बस कफन मिल पाता है | मैं प्रद्युम्न आज दिल से, बात हूँ ये बोलता, देखता ताबूत जब वो, खून मेरा खौलता | देशभक्ति के नाम पे हम, भक्तिगीत पे झूमते, देशभक्त तो है वो जो, सरहद की तारें चूमते | #kavyotsav2
बंटवारा आज देश फिर रोया है, चैन की नींद ना सोया है भीग गयी ये आँखे फिर से, कहर ये कैसा ढाया है | विधवा हुई वो प्यारी गुड़िया, क्या उसने था पाप किया, नन्हे बच्चों को नफरत की, आग ने फिर से जला दिया | बिलख उठी फिर धरती अपनी, माँ ने बेटा खोया है, देख कफन में लिपटा बच्चा, बूढ़ा बाप फिर रोया है | रात कभी ना सो पाता मैं, कब दंगा कोई हो जाए, फिर चीखें गूंजे और फिरसे, खून का दरिया बह जाए | योगी ने भी कैसा देखो, बीज नफरत का बोया है, धर्म का धंधा करके देखो, नींद चैन की सोया है | हिंदू, मुस्लिम, सिख, ईसाई, फर्क ना मुझको आता है, देखा चोट खाने पे मैंने, खून लाल ही आता है | बीजेपी ना कांग्रेस ये, कोई काम ना आया है, मजहब का ही नारा देकर, वोट सभी ने कमाया है | मैं तो हूँ पागल प्रद्युम्न, यूँ ही लिखता जाऊंगा, कोई नहीं सुनेगा मेरी, इक दिन यूं ही मर जाऊंगा | काश कोई दिन ऐसा आए, चैन से मैं भी सो पाऊ, धर्म का धंधा मिट जाए और, प्यार से मैं भी जी पाऊ | बंद करो ये मंदिर मस्जिद, भाई भाई मिल जाओ, झाँक के भीतर देखो अपने, मालिक सबका एक पाओ | माफ करो भाई मुझको की, शब्द मेरे ये कड़वे है, समझो मेरे दिल को तो जानो, पाप कोई ना समेटे है | आज सुबह जब खबर पढ़ी वो, दिल मेरा था सहम उठा, रोया कुछ वर्ष पहले ऊरी, अब पुलवामा चीख उठा | ये कश्मीर जन्नत थी अपनी, नर्क है इसे बना डाला, खुद वो भी रोता है आखिर, क्यूँ था हुआ वो बंटवारा | #KAVYOTSAV -2 #kavyotsav -2
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