जानता हूं मानता हूं
एक लड़की हो तुम,
स्वीकारता हूं
हर रोज मैं एक नये दोस्त
का प्रस्ताव भी,
स्वीकारता हूं
तुम से बात नहीं करने पर
भी दिन गुजारता हूं
पता नहीं क्यों? तुम घमंड करती हो, इतराती हो,
फिर भी मैं बात करता हूं, पुकारता हूं,
पता नहीं क्यों?
नहीं चाहते हुए भी दोस्ती के नाम पर तुम्हें चिचड़ी कहकर बुला ही देता हूं...
Aj......