था प्रेम अद्भुत उन स्कूल के दिनों में,
तुझसे मिलकर हर दिन , लगता था दिवाना।
तेरी हंसी, तेरी मुस्कान कुछ ऐसे गुनगुनाती थी,
कर देती थी बेचैन जैसे वो सावन की बूँदें मुझको ।
स्कूल के आखिरी दिन, वो पल याद आते हैं,
तेरे बिन किसी अब देखकर भी अब वो ख्वाब न आता है।
अब हम अलग राहों पर चल रहे हैं, जीवन की दिशा में,
पर तेरी यादों का ख्वाब हर रोज़ दिल को बहलाता है।
तू मेरी आँखों की तस्वीर है, नही जरूरत किसी गैलरी की तेरी तस्वीर रखने को ।
स्कूल के दिनों की यादें सदैव बनी रहेंगी,
वो ख्वाब नही कोई हकीकत थी ,
वो ख्वाब नही कोई हकीकत थी ।।