मेरी खुबियों का नज़राना ..................................
दुनिया के लिए मैं बैइमान रहा,
ना रिश्ता संभाल पाया,
ना किसी का साथ मिला,
चिल्लाते रहे मुझ पर इस दुनिया के गैर मुसाफिर,
मगर मैं खुश हूँ कि मैं खुद के लिए वफादार रहा ...................................
आदत - और शौक की बात हैं,
तुम्हें पसंद है हुज़ुम सड़कों का,
मेरे लिए मेरी शांति ही मेरी पहचान हैं,
तारीफ है तुम सबकी कि एक दिन बुराई की फिर,
दूसरे दिन उसी को गले लगाते हो,
कहाँ से लाते हो ज़र्फ इतना,
खुदा को कैसे मुँह दिखाते हो .........................................
मैं कमज़ोर दिल का इंसान हूँ,
किसी के कुछ कह देने पर दिल पकड़ कर बैठ जाता हूँ,
सुनता हूँ आहिस्ते से कि धड़कन क्या कह रही हैं,
वो भी बराबर चल कर मेरी उम्र में इज़ाफा कर रही हैं,
मैं मानता हूँ कि समाज दिखावे कि लिए बहुत कुछ करता हैं,
दिल दुखाता है, औरों को रुलाता है और फिर हंस के बेबसी का मज़ाक बनाता हैं,
शुक्र है कि मैं इस हुनर से दूर हूँ नैयमितों के करीब,
और किसी को आह देने से कोसों दूर हूँ ..........................................
स्वरचित
राशी शर्मा