सीता नवमी की सभी को हार्दिक शुभकामनाएं 🙏🙏💐💐💐💐
वैशाख मास की शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को सीता जी का प्राकट्य पर्व मना जाता है। इसलिए इस दिन को सीता नवमी के नाम से जाना जाता है। सीता जी को माँ लक्ष्मी जी का अवतार माना जाता है।भूमि से उत्पन्न होने के कारण उन्हें भूमात्मजा और राजा जनक की पुत्री होने से उन्हें जानकी भी कहा जाता है। सीता जी के जन्म से जुड़े कई प्रसंग हैं। कहा जाता है कि एक बार मिथिला में भयंकर अकाल पड़ा। ऋषि-मुनियों ने अपनी राय दी कि यदि राजा जनक स्वयं हल चलाकर भूमि जोते तो देवराज इंद्र प्रसन्न होकर ये अकाल दूर कर सकतें हैं। राजा जनक ज्ञानी और पुण्यात्मा माने जाते थे। उन्होंने प्रजा के हित में खुद हल चलाने का निर्णंय लिया। हल चलाते-चलाते एक जगह हल फँस गया, राजा जनक ने देखा कि एक स्वर्ण कलश में हल की नोक अटकी हुई है। जब कलश को बाहर निकाला गया तो उसमें एक सुन्दर नवजात कन्या थी। धरती माँ का आशीर्वाद समझ कर राजा जनक ने इस कन्या को अपनी पुत्री के रूप में स्वीकार किया। हल की नोक को सीत कहा जाता है इसलिए राजा जनक ने इस कन्या का नाम सीता रखा।
आज सीता नवमी है। सीता जी को सादर नमन करते हुए प्रस्तुत है मेरी एक रचना 🙏🙏
सीता
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मैं सीता न्यारी, जनक की राजदुलारी
नहीं थी कोई भी मेरी लाचारी
पृथ्वी पुत्री बन कर आई थी धरा पर
मैं ही करती हूँ शेर पर सवारी ।
विधि का विधान था जन्म लेना मेरा महान था
प्रेम, धैर्य, त्याग और तपस्या का देना बलिदान था
नारी बिना पुरुष, पुरुष बिना नारी अधूरे संसार में
अच्छे बुरे - कर्मों का देना मुझे संसार को ज्ञान था।
राम और रावण दोनों को ये सब अंतर्ज्ञान था
ऋषि- मुनियों को भी इस माया का संज्ञान था
धरा -पुत्री अपने महान कर्मों को कर धरा में समा गई
देवी- देवताओं को सदैव ही सीता पर अभिमान था।
आभा दवे
मुंबई