"एक बार पत्नी को भी
प्रेमिका की तरह अधिकार दे कर तो देखो…
बिना रसोई, बिना बर्तन, बिना बच्चों की जिम्मेदारी…
बस दो घंटे का खुला प्यार, हँसी, सुकून और सम्मान—
यक़ीन मानो, तब समझ आएगा
कि सबसे खूबसूरत ‘रिश्ता’
घर के भीतर ही था,
बस समय और सम्मान की कमी थी।"
जैसे प्रेमिका के साथ हाथ में हाथ डालकर घंटे भर के लिए घूम लेते हो बिना जिम्मेदारी के दोनों को सुकून से भरी आसान लगती है यह जिंदगी। असल में संघर्ष शुरू जब होता है वही प्रेमी प्रेमिका शादी करके पति-पत्नी बनते हैं तब समझ में संघर्ष क्या है वैसे तो बहुत आसान है यह जिंदगी सिर्फ प्यार कर लेना घूम लेना शादी से पहले
जो प्रेमिका कहती है ना कि हम अपने प्रेमी को सुकून देते हैं सुकून तो इसलिए देती हो क्योंकि तुम अभी परिवार में नहीं हो परिवार के ताने नहीं सुन रही हो परिवार की जिम्मेदारी से दूर हो।