"स्त्री"
एक स्त्री बनना कितना कठिन है,
हर दिन कोशिशों में डूबा हर क्षण है।
अपने ऊपर उठे हर सवाल को झुठलाना है,
थककर भी मुस्कुराना है, खुद को फिर समझाना है।
यह रात न बीते तो नया दिन कैसे आएगा,
घाव चाहे गहरे हों पर हौसला ही जगमगाएगा।
औरत की ताक़त ही तो राहें नई बनाती है—
वह टूटकर भी हर बार मज़बूत बनकर दिखाती है।
- sonam kumari