एक रस्ता है,
जिस पर कोई ना जाता है।
क्योंकि क्या कहेंगें चार लोग,
इस बात का डर सबको सताता है।
पर करके हिम्मत कोई,
जो दो चार कदम बड़ा भी पाता है।
तो ना जाने फिर वो क्यों,
लाख मुश्किलें पाता है।
पर डट जाएं जो कोई वहां,
वो सच्ची खुशियां पाता है।
झेलते हुए रास्ते में ही,
वो खुशियों को बचाता जाता है।
अपनी आने वाली पीढ़ी को,
वो बस फिर एक बात समझाता है।
कि एक रस्ता है,
जहां कोई नहीं जाता है।
पर पार कर ले उसे सारी खुशियां वो पाता है
- vrinda