ओ मोहन, ओ केशव
ओ कुंज बिहारी
तेरे दर पर आई
मैं अबला बेचारी.....
दुनिया की सताई मैं,
तेरे दर पर आई मैं,
ओ मोहन तुम मेरा हाथ थाम लो ना......
मझधार में डूबती हूं मैं तुम मुझको बचा लो ना.........
ओ मोहन, ओ केशव
ओ कुंज बिहारी
तेरे दर पर आई
मैं अबला बेचारी.....
ना साथ मैं खड़ा है,
कोई जग में हमारे।
बिछाएं है कांटे,
पग में हमारे।
ओ मोहन कन्हैया ,मेरा तुम हाथ थाम लो ना......
मझधार में डूबती हूं मैं तुम बचा लो ना.........
ओ मोहन, ओ केशव
ओ कुंज बिहारी
तेरे दर पर आई
मैं अबला बेचारी.....