Hindi Quote in Poem by Aadi jain

Poem quotes are very popular on BitesApp with millions of authors writing small inspirational quotes in Hindi daily and inspiring the readers, you can start writing today and fulfill your life of becoming the quotes writer or poem writer.

"मैं मणिकर्णिका हूँ"

— कविता: आदि जैन

मैं चिताओं की नगरी हूँ,
पर डर मत मुझसे —
मैं राख नहीं, रूहों का विश्राम हूँ।
मैं मणिकर्णिका हूँ।

हर दिन सैकड़ों अग्नि-कथाएँ जलती हैं मुझपर,
हर लपट में एक नाम, एक पहचान,
फिर भी मैं मौन —
क्योंकि मैं अंत नहीं, निर्वाण हूँ।

मेरे किनारे चीखें नहीं,
बस शंख की आवाज़ है,
जिसे सुनकर आत्माएँ थमती हैं,
जैसे किसी माँ की गोद में सिर रखकर
कोई बच्चा सो जाता है।

लोग कहते हैं, मैं मृत्यु का घर हूँ,
पर मैं जीवन का सार हूँ।
जो जला, वो मिटा नहीं —
वो मुक्त हुआ।

गंगा मेरी साथी है,
हम मिलकर ले जाते हैं सब भार,
कर्मों के बंधन, मोह की जंजीरें,
और छोड़ जाते हैं पीछे सिर्फ़ शांति।

मैंने राजाओं को देखा, भिखारियों को भी,
सब बराबर —
सब मेरी आग में एक से जलते हैं,
क्योंकि अंत में सबके पास एक ही उत्तर है:
शून्यता।

मैं मणिकर्णिका हूँ —
जहाँ अग्नि डर नहीं, द्वार है।
जहाँ मृत्यु शोक नहीं, शांति है।
जहाँ हर राख में एक नवजीवन छिपा है।

Hindi Poem by Aadi jain : 111991344
New bites

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now