जींदगी दो पल तो थहर जाती .
दील के रंजोगम, दो लब्जोमें बयाँ करदेतीी .
थामकर तेरी कलाई अपनी होनेका ,
अहेसाँस साँसोमें भरलेती.
थामकर दामन तेरे दो कदम तो चलके ,
कुछ ना सही ,दोपल दोस्तीका अहेसास तो करलेती .
हमसफ़र बने हो तो ,जीवनभर साथ नीभानेका
वादा तो करलेती .

Hindi Poem by Saroj Bhagat : 111933257
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