Quotes by Rahul in Bitesapp read free

Rahul

Rahul Matrubharti Verified

@rahul.9970
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मुझसे बात किए बिना ,तुम्हे नींद कैसे आ सकती है.?
उठो...और मुझसे बात करो।
कुछ हद तक उसे जैसे वह सूचना देते हुए कविता बात कर रही थी।
नरेश की पलके खुल गई।
उसने अपने ऊपर सीलिंग पर धीमी धीमी गति से चलते हुए पंखे पर नजरे गड़ाई।
अपने दाएं और मुड़ते हुए वह बिस्तर पर बैठ गया।
अपने आस पास देख रहा था।
मगर कमरा पूरी तरह से खाली था।
उसमें वह खुद अकेला ही है।
इसका अहसास होते ही...
वह आत्मग्लानि से भर गया।
बीते वक्त की वह हसीन शाम ,
जो अक्सर कविता के साथ टहलने की निकल जाता था,
वह याद नरेश के मस्तिष्क पर हावी हो रही थी।
सपना और हकीकत के उस द्वंद्व में वह इस कदर उलझ गया कि उसे दोनों में स्पष्ट अंतर दिखाई नहीं दे रहा था।

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खास से आम होना एक पल में नहीं होता है।

aadmi musafir hai,
aate jate raste me yaade chhod jata hai...🌼

......टाळले जाणे ही भावना सर्वाधिक दुःख दायक असते.

... भावनात्मक पातळीवर स्वतच्या मनाला ,आपल्या विचारांना कधी कधी आपणही न्याय देऊ शकत नाही.अनेक प्रकारच्या उपायांची योजना अनेक तत्त्वज्ञ यांनी केलीय ,
पण आपल्याला नेमक काय लागते हेच स्पष्ट होत नाही.
म्हणूनच म्हटले जाते की,
ज्याच्या त्याच्या सुखाची व्याख्या वेगवेगळी असते.

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....भावना संपन्न जो लोग होते है,
वह अपनी दिनचर्या में होने वाली जरा सी बात पर भी ,
अत्यंत भावुक और विचारमग्न हो जाते है।
जिस बात के लिए वह जिम्मेदार भी नही हो
लेकिन खुद को ही मन ही मन में दोषी मानते है।

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