बिकते बाजारों मे
भरने खुदकी झोली लिए देखो,
खुद यहां पैसों के धनवान बैठे हैं,,
चहरे की मासूमियत लेने देखो,
खुद यहां मासूमियत के
कद्रदान बैठे हैं
लुटते हुए ख्वाबों का
लगा हुजूम शहर में
तमाशा देखने देखो,
खुद यहां तमाशवान बैठे हैं
टूटते हुए खुदमे ही,,लुटते हुए खुदमें ही,
बंद हथेली मुट्ठी में बिकने
देखो खुद यहां अरमान बैठे हैं,
खुदकी आग के फेरे लेकर
खुदकी ही आहूति देकर
हँसते हुए हम देखो
खुद गवाकर अपनी जान बैठे हैं ,