#हिंदी_दिवस
विचारों के आदान-प्रदान हेतु हिंदी का प्रयोग, चारो दिशाओं में करना एक अच्छी पहल हो सकती है लेकिन हिंदी भाषा का वास्तविक स्वाभिमान बनाए रखने के लिए हमें इसका आरंभ वहीं से करना होगा, जहां से हिंदी वर्णमाला का आरंभ होता है. . . अर्थात 'अ' से अनार. . .!
हिंदी दिवस यानी हिंदी की महत्ता को, बरकरार रखने या कहे कि बनाए रखने के लिये ही आज के दिन प्रत्येक वर्ष हिंदी दिवस मनाया जाता है।
'हिंदी' को हिंदी दिवस के रुप में मनाने की शुरुआत वर्ष 1949 में आज ही के दिन 14 सितंबर से हुयी, जब संवैधानिक सभा के द्वारा आधिकारिक भाषा के रुप में देवनागरी लिपी में लिखी हिंदी को स्वीकृत किया गया।
हालांकि वर्तमान में देखा जाए तो हिंदी भाषा अपने ही घर यानि देश में मेहमान बन कर रह गयी है जो यदाकदा किसी समारोह या हिंदी सप्ताह जैसी इवेंट में ही नजर आती है।
सर्वाधिक दुःख तो जब होता है, जब हिंदी के बल पर प्रतिष्ठा पाने वाले बड़े-बड़े नेता, अभिनेता और साहित्यकार भी किसी समारोह में विदेशी भाषा का प्रयोग करके प्रत्यक्ष में ही हमारी हिंदी को मेहमान बना देते है। यदि हम अपनी हिंदी भाषा के लिए अधिक कुछ नही कर सकते तो इतना तो कर ही सकते है कि जहां तक संभव हो सके हमें इसे अपने दैनिक जीवन और समाज में जीवित रखने का प्रयास करे क्योंकि आधिकारिक तौर पर तो हिंदी भाषा अब 'हिंदी दिवस' और 'हिंदी सप्ताह' में सिमट कर रह गयी है।
बहरहाल साधुवाद है उन सभी संस्थाओं, आयोजनकर्ताओं और विभिन्न 'सोशल साइट्स' के समूहों को, जो हिंदी को लोकप्रिय बनाने के साथ-साथ इसे समाज से जोड़ने का प्रयास करने के साथ हिंदी को एक सशक्त माध्यम के रूप में स्थापित करने का कार्य कर रहे है।
हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ. . .
. . . . ✍️ वीर ।