बारूदों के ढेर,बैठ दुनिया मुस्काए।
होगा क्या अंजाम,इसे कुछ समझ न आए।।
लाशों के तालाब,कुएं क्या खून भरोगे।
करके अरे विनाश,कहां फिर राज करोगे।।
मानवता है आज,धरातल धँसती जाए।
र्निदोषों की जान,प्रभू बिन कौन बचाए ।
ले लो उनकी सार,जगत के तुम हो पालक।
हाथ जोड़ अरदास,करें हैं नन्हें बालक।।
#शार ✍🏻
-Hardeep Kaur Insan