ऑन ड्यूटी ( लघुकथा )
सड़क पर तेज गति से चली आ रही मोटरसाईकिल को पुलिस वाले ने हाथ देकर रोका|
'क्यों बे,मोटरसाईकिल इतनी क्यों भगा रखी है,आगे क्या आग लगी हुई है,जो बुझाने जाना है तूझे!!??' उसने पुलसिया रौब झाड़ते हुए पूछा| युवक कोई जवाब न दे पाया|
'हेलमेंट कहाँ है तेरा?' पुलिस वाले ने फिर से पूछा|
'वोssss...वो सर...जरूरी काम से निकला था घर से ,जल्दबाजी में भूल गया साथ में लाना|' युवक ने बहाना बनाते हुए कहा|
'बेटा,जल्दबाजी में था या हेअर इस्टाइल खराब होता था तेरा!!? चल उतर नीचे,अभी ठीक करता हूँ.....'| कहते हुए उसने युवक की कॉलर पकड़ ली|
'जाने दो न साबबबब,आगे से ध्यान रखेंगे|' दूसरे युवक ने सलाम ठोकते हुए कहा|
'बेटा,ऑन ड्यूटी हूँ मैं...मेरे होते कोई कानून की धज्जियां नही उड़ा सकता| भई,कानून तो कानून है,सबके लिए एक समान..| चल,कागज दिखा इसके..?' पुलिस वाले ने रौब भरे लहजे में कहा|
लड़के ने सौ का नोट कागजों में रख उसे पकड़ा दिया| पुलिस वाले ने नोट जेब में ड़ाल ,कागज वापिस करते हुए उन्हें जाने का इशारा किया और सामने से आ रही गाड़ी को हाथ का इशारा कर रुकवाने लगा|
हरदीप कौर इन्सां 'शार' ✍🏻
जिला यमुनानगर,हरियाणा