किस साहित्यकार का बेटा आज तक शेरवुड कॉलेज जैसे महंगे स्कूल में पढ़ा..?
बाबू जी से बड़े बड़े साहित्यकार गरीबी की धूल फांक के जीवन छोड़ गए लेकिन बाबू जी का बेटा शेरवूड कॉलेज में पढ़ रहा था, राजीव गांधी जैसे लोगो का बालसखा रहा,
काहे कि अम्मा जी नेहरू जी की निजी सचिव रही, नेहरू जी के साथ अक्सर विदेश दौरों पर जाया करती थी!!
बाबू जी के बेटे को फिल्म मिलती गयी इंदिरा गांधी की सिफारिश पे, और सबको पता है जो दौर इंदिरा जी का था उस दौर में किसी की औकात थी क्या भला जो इंदिरा जी की बात काट दे,
बाबू जी का बेटा यहां से स्टार बन गया!!
जब बाबू जी के बेटे का अफेयर परवान चढ़ने लगा तब इनके घरवालों के कहने पर इंदिरा जी ने उसमे तक हस्तक्षेप किया,
किन दो केंद्रीय मंत्रियों ने उसे इंदिरा जी कहने पर धमका कर अफेयर बन्द करवाया मैं उनके भी नाम जानता हूँ!!
स्टार बनने के बाद बाबू जी का बेटा अपने बचपन के मित्र राजीव जी के आह्वान पर इलाहाबाद से लोकसभा लड़ कर लोकसभा भी फतह कर लिया,
बाद में बोफोर्स में नाम आने के बाद,
बाबू जी का परिवार बड़ा चतुर उन्होंने गांधी परिवार की कमतर होती ताकत भांप ली, और राजनीति समेत गांधी परिवार को टाटा बाय बाय करके कट लिए!!
कुछ दिनों बाद बाबू जी का बेटा, फिर दिवालिया हुआ,
अबकी उसे उबारा माननीय मुलायम सिंह यादव, अनिल अंबानी और स्व अमर सिंह ने,
नेता जी की भक्ति में बाराबंकी में खेत भी मिल गए,
बाबू जी के बेटे ने भरे मंच से मुलायम सिंह जी को पिता तुल्य और अमर सिंह को सगा बड़ा भाई स्वीकारा था,
अमर सिंह दुनिया छोड़ गए, मुलायम सिंह हाशिये पे हैं, अनिल अंबानी गरीब हो गए,
बाबू जी के बेटे ने आज तक उनका हालचाल तक न लिया!!
बाबू जी का पूरा परिवार लोमड़ी से ज्यादा शातिर है, बाबू जी का बेटा ड्रग्स वाले मुद्दे पर एक शब्द नही बोलेगा, बल्कि अपनी बीबी का समर्थन भी करेगा,
खैर तुम्हारी मजबूरी तुम जानो बच्चन,
बस इतना याद रखना पनामा वाली फ़ाइल पेंडिंग है अभी!!
भौजाई जी ने आज समाजवादी सांसद होने का फर्ज निभाते हुए आज एक चुने हुए लोकसभा सांसद रवि किशन को जाने क्या क्या अपशब्द राज्यसभा में कह दिए,
मैडम बच्चन रवि किशन दून स्कूल से नही पढा, किसी की सिफारिश से फिल्में नही किया, खुद की भोजपुरी इंडस्ट्री बनाई, और खुद को वहां का सुपर स्टार बनाया,
और सबसे सबसे बड़ी बात आप यादव परिवार के रहमोकरम पर मनोनीत सांसद हैं और रविकिशन जनता का समर्थन लेकर निर्वाचित लोकसभा सदस्य है,
मनोनीत और निर्वाचित का फर्क समझिए भौजी!!
कुल जमा सार ये है कि ये लोग जो खुद को मुम्बई, बॉलीवुड और देश का मसीहा मान बैठे है, अब इन भाँडो को इनकी असल औकात दिखाने का वक़्त आ चुका है,
चाहे वो कोई ठाकरे हो या बच्चन या जौहर,
कोई ये तय नही करेगा कि हमे कौन सा ट्रेंड फॉलो करना है, या कौन सा नही...