शुभ संध्या एवं रात्रि वंदन जय श्री गणेशाय नमः शुभ रात्रि बुधवार श्री गणेश जी की
आरती ब्रह्मदत्त
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महा देवा ।।
एक दन्त दयावंत चार भुजा धारी
माथे सिन्दूर सोहे मूस की सवारी ॥
अन्धन को आँख देत कोदिन को काया
बाँझन को पुत्र देत निर्धन को माया ।।
हार चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लड्डूअन का भोग लगे संत करे सेवा ।।
दीनन की लाज रखो शम्भू पुत्र वारी
मनोरथ को पूरा करो जाय बलिहारी ।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महा देवा ।।
प्रस्तुतीकरण..... ब्रह्मदत्त त्यागी हापुड़