कभी रासलीला, कृप्णलीला और रामलीलाए होती थी, मगर समय बदला और पिछले दिनों शानदार, मालदार, चमकदार लिटफेस्टलीला देखने को मिली।टी वी ने इस लीला में चुम्बन दिखाये। अखबारों ने इस लीला में जाम छलकते दिखाये। गान्धीवादी राज्य सरकार ने गान्धीजी की पुण्यतिथि से कुछ दिनों पूर्व हुई इस लीला में शराब की नदी बहाने के लिए तीस लाख रुपये दिये। तन-मन-धन से पूरी सरकार इस लीला में मगरुर हो कर छा गई, ये बात अलग है कि सरकारी अकादमियों में लेखक-कलाकार मामूली पारिश्रमिक- पुरस्कार सहयोग राशि के लिए भी तड़प रहे है। आनन्द ही आनन्द ! कौन कहता है राजस्थान, पिछड़ा प्रदेश है, बीमारु राज्य है रेडलाइट से लेकर रेडवाइन, वोदका, व्हिस्की, बीयर, पानी की तरह बह रही है। गीतो के घाट पर शराब की नदिया बही,कुछ ने केवल आचमन किया। कुछ ने खूब पी और मटके भरकर घर पर भी ले गये। कौन जानता है कि इस कार्यक्रम के असली प्रायोजको के तार कामन वेल्थ गेम्स तक जूडे हुए है। हिन्दी राजस्थानी के नाम से कुछ लेखक बुलाये गये। एक भूतपूर्व कवि-नौकरशाह अपने ठसके से हर जगह पहुच जाते है। हास्यस्पद रस के एक कवि ने एक नेता की कविताओं का ऐसा अनुवाद सुनाया कि कविता शरमा गई।