हा तु एक लड़की है,
वो ही बात तो मुजे खलती है
कभी निर्भया, कभी ज्योती, कभी प्रियंका
हर बार तु ही तो रोती है
अपने स्त्रीत्व को जगायेगी कब??
तेरे आंचल पर बात आयेगी तब???
दो दिन तो तु बहोत लिखी पढी जाती है,
पर तीसरे दिन तु फ़िर उस धारा मे बहने लगती तु,
शरम कर, आज तेरी बहेन जली है
पर खुशी मनायेगी तु, क्युकी तु आज बच गयी है,
माफ कीजियेगा मेरे कटाक्ष पुर्ण शब्दो को
पर यही सत्य है,
दो दिन मोमबत्तियाँ जलाएंगे
दो दिन hashtag लगाकर सोश्यल मिडिया पर छा जायेंगे..
पर , उसके बाद??
हमे तो रोज़ की आदत है,
ये तो अब आम बात है
*कलम छोड़, तलवार उठा*
*कृष्णा नही, श्री कृष्ण बन*
मत सोच क्या है सत्य-असत्य
तेरा स्वाभिमान ही है परमसत्य
कबतक तु सिर्फ़ मोमबत्तियाँ ही जलाएगी??
अपने स्वाभिमान को कब तक बचाएगी???
छोड़ ये मोमबत्तियाँ,
उठा तु मशाल आज
अपने स्वाभिमान के खातिर
जला उस हेवान को आज