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तेरी यादों के सहारे जी रहे हैं हम, हर पल अश्कों के सागर पी रहे हैं हम।" ना चैन है इस ज़ालिम जिंदगी में ना हमे करार है अब लौट आओ मेरी प्रिया बस हमे तेरा ही इंतेज़ार है तुझे याद करता हु हर पल ,अब कोई सुकून नहीं है अपने प्यार को यू इस तरह तड़पाना क्या इतना सही है ?
तेरे इश्क की खोज करता रहूं बस एक ही अब चाहत है और कुछ न चाहिए रब से बस , तेरे इश्क में दिल को राहत है इश्क ये तेरा है या खुदा है इतने करीब होके भी हम क्यों जुदा हैं तुमसे मिलने की ये बार बार करे यही इबादत अबतो भूलने से न मिटती है तुझे चाहने की मेरी आदत ख़ैर मांगू रब से सदा बस तेरे ही प्यार की की जिंदगी खुशहाल रहे बस मेरे यार की
कितनी खूबसूरत थीं बचपन की वो यादें न खाने की फिक्र थी ना कही रहता था ठिकाना बस हमको तो था मम्मी के पास रोते हुए जाना की सुबह ना उठने का था एक ही बहाना , मम्मा मैने सपने में देखा खिलौने का खजाना कभी गए कीचड़ में कभी कपड़े हुए है मैले अबतो याद हीं नहीं आते , जाने कितने खेल थें हमने खेले काश ऐसा हो कोई फिर ले आए दिन वो पुराने जब शाम होते ही घुमा करते थे गलियों में बनकर बेगाने दुनिया अपनी बस्ती थी मम्मा की प्यारी सी गोद में सुभा होते ही हम निकल पड़ते थे , बस अपने दोस्तों की ही खोज में वो बारिश में भीगना, कागज़ की नाव चलाना, वो दोस्तों संग मिलकर, मिट्टी के घर बनाना। वो छोटी-छोटी बातों पर, रूठना और मनाना, वो बचपन के दिन, अब बस यादों का खजाना। वो चाँद सितारों से बातें करना, वो परियों की कहानियों में खो जाना। वो सपनों की दुनिया में, उड़ते फिरना, वो बचपन की मासूमियत, अब बस यादों का गहना। पर टूट जाता है मन ये मेरा , इस एहसास से हर एक बार अब जाने कैसे लौटकर आए वो मेरे , बचपन के दिन यादगार की लौट आए वो मेरे , बचपन के दिन यादगार।
खोया हुआ हु मैं खुद अपनी ही तलाश में शायद मिल जाए कही ,जो अब नहीं है मेरे एहसास में सर्द हवाएं हों या गर्म फिजाए,ं मै खोया हु खुद अपनी ही तलाश में यूं तो लोग मिलते हज़ारों हजार पर ढूंढता ही में खुदको जो मुझमें भी लिए निखार यूं तो किताबें है पढ़ी मैने हजार पर फिर भी हु खो जाता मै अपनी तलाश में बार बार खोया हुआ हु मैं खुद अपनी ही तलाश में इंतेज़ार करता हु उस पल की जो अजाए एक बस एक बार खत्म होजाएगा तलाश मेरा बस एक बार खत्म होजाएगा तलाश मेरा बस एक बार
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