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तुझें याद ना मेरी आई किसी से अब क्या कहना दिल रोया की आंख भर आई किसी से अब क्या कहना।
एक 40 साल के शख्स को एक बार ये गुमान हो गया की किसी नादान सी बालिका को उससे प्यार हो गया हाल ये हो गया की वो उस पर हक जताने लगा उसे मिलने को फिर वो बुलाने लगा प्यार के बहाने अपनी flirting skill उस पर वो आजमाने लगा अपनी सारी बुराईयो को वो उससे छुपाने लगा साइड मे कुछ आंटियो से भी वो नजदीकिया बढ़ाने लगा फिर कुछ हुआ और एक दिन उस लड़की को सब पता चल गया ये शख्स ही खराब हैं इस बात से अब पर्दा उठ गया अपनी कमी छुपाने के लिए वो उस लड़की को ही दुनिया के सामने गलत बताने लगा हार कर उस लडक़ी ने उससे किनारा कर लिया सबक सिखाने का ख्याल साइड कर दिया क्योंकी वो ये जान गई थी उससे पहले भी उस शख्स की इससे पहले भी कई थी बाकी जाने देना ही श्रेष्ठ हैं अब उस लड़की के दिल में भी ना अब कोई खेद हैं। इस तरह से फिर एक बार बुराई की जीत हुई.. यही जीवन की सच्चाई हैं...। ये सिर्फ एक काल्पनिक रचना हैं इससे लेखक के जीवन से कोई सम्बन्ध नहीं हैं। Priya kashyap...✍️
मेरे दर्द का मुझसे हिसाब ना मांगिये बेवजह ही मुझें गुनाहगार मत मानिए... Priya kashyap
तुमने समझा मुझें एक टाइमपास मेरे प्यार को माना हमेशा थर्ड क्लास मेरी फिक्र थी तुम्हारे लिए बस एक बकवास क्योंकी था तुम्हारे मन में कोई और खास क्यों झूठ बोला तुमने मुझसे ये हर बार करते हो तुम मुझसे बहुत प्यार अरे! झूठे इंसान, सच बोल देते तो आती ना मैं तुम्हारे कभी भी पास पड़े रहते हमेशा तुम अपनी उस खास के पास चाहे बन जाते तुम एक जिंदा लाश तुम्हें हील करने को, मैं कोई दवाई नहीं हूँ मेरे पास भी दिल हैं, मैं कोई सिपाही नहीं हूँ तुम मुसाफ़िर हो तो मैं कोई राही नहीं हूँ हर किसी से जो दिल जोड़ लू मैं तुम्हारे इतनी माहिर नहीं हूँ....... Priya kashyap....✍️
सुना हैं किसी रोज बहुत अंधेरा होगा कब्र का खौफ ना रखना एक दिल वहाँ मेरे सरकार मेरे महादेव की हिफाजत होगी। Priya kashyap
हम थक गये है , इसलिए थोड़ा ठहर गए हैं प्यार तो हैं लेकिन बस अब थोड़ा डर गए हैं आपसे आपके झूठ से,आपके अतीत से और आपकी नजरंदागी से। PRIYA KASHYAP...
मैं बेफिजूल उसे चाहती रही दर्द ए गम उसे बताती रही मजाक बन गया हमारा हमारे ही सामने, दोष लगाने वाले थे मेरे अपने ही चाहने वाले.... Priya kashyap...✍️
आप समझ ना पाए हमें और हम समझा ना सकें कुछ इस तरह से आपने छोड़ा हमें की हम लौट के वापस आ ना सके यूं तो गलतफैमीयां बहुत सी थी पर हम एक भी मिटा ना सके सच, झूठ और नजरअंदाजगी में बस हम आप को भूला ना सके नहीं प्रेम नहीं हैं ये बस लगाव था आपने छोड़ दिया हमें और हम आपको ठुकरा ना सके आपको लगता हैं हम अकेले हैं सच तो ये हैं की आपसे मिलने के बाद हम किसी और को अपना ना सके.... और आप कहते हैं.... हम वफा निभा ना सके.... © Priya kashyap
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