#काव्योत्सव (अध्यात्म)
गांव के सुन्दर वातावरण में
प्रभात होते ही निंद्रा ने प्रस्थान किया ,
पक्षियों का झुंड आकाश मंडल में
स्वतंत्र विचरण कर रहा था ।
देवों के मंदिर में से
शंख झालर सुनाई देते थे ,
शीतल मन्द पवन चन्दन की खुशबू से
वातावरण को पवित्र कर रहा था ।
आधुनिकता की परिकल्पना में
कृषक अपने कर्मक्षेत्र को संभालते ,
ऋचाओं के उच्चारण से कोई
नव जागरण कर रहा था ।
प्रात: सूर्य से नभमंडल में
लालिमा छा गई थी ,
अध्यात्म का एक विद्यार्थी
नये युग का चिंतन कर रहा था ।