हमेशा काम, बर्ताव, व्यवहार, बोली, विचार आदि अच्छे रखने चाहिए वरना परिणाम बहुत बुरा होता है स्वार्थी को तो बहुत कुछ भुगतना पड़ता है—>
?जब दूसरों के लिए हमारी वाणी वर्तन व्यवहार गलत या नुकसान पहुंचाने वाला होता है तब स्वयं सरस्वती देवी उनुचीत न हो जाए इसलिए कुछ ऐसा बुलवाती है कि दूसरों के बदले खुद का ही नुकसान होता है | अभिमानी जाऊंगी आज से बेईमान आदि को बहुत भुगतना पड़ता है पहले पहल तो वह बहुत ही मचल उठता है पर बाद में उसका जीवन नर्क से भी बदतर बन जाता है किसी को शारीरिक तकलीफ तो किसी को पारिवारिक आधी समस्या का सामना करना ही पड़ता है इसलिए जो अच्छा है न्याय पूर्ण है वही करना चाहिए वरना गलत सोच कर गलत परिणाम ही आता है |
इसलिए अपने मस्तिष्क यानी दिमाग और मीठी भाषा का प्रयोग हमेशा करना चाहिए वरना वहीं दिमाग और बोली हमारे लिए आशीर्वाद के बदले अभिशाप बन जाती है जैसे कुंभकरण के लिए अभिशाप बन गया था | छोटा सा भी बुरा विचार खुद को बर्बाद करवाने के लिए काफी है |...ॐD