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This year, Dada Bhagwan’s Guru-Purnima 2025 was celebrated at Jacksonville, USA with great devotion and enthusiasm, including a Special Darshan, Bhakti, a cute GNC Parade, and much more in the pious presence of Pujyashree Deepakbhai.

To read more about the Guru Purnima celebration, click here: https://dbf.adalaj.org/5LBtfMCX

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dadabhagwan1150

ഓർമ്മയിലെ നിഴൽ


മങ്ങിയ സാന്ധ്യവെളിച്ചത്തിൽ,
ഒരു രൂപം മാഞ്ഞുപോയി.
അകലെ എങ്ങോ മറഞ്ഞുവോ,
ഓർമ്മകൾ മാത്രം ശേഷിച്ചുവോ?
ഒരു ചിരി, ഒരു വാക്ക്,
ഇരുമിഴികളിലെ സ്നേഹം.
ഇനിയില്ല തിരികെ, ഒരിക്കലും,
നിഴലായ് നീ മാഞ്ഞുവല്ലോ.
ഓരോ ദിനവും തേങ്ങുന്നു ഞാൻ,
നിൻ ഓർമ്മയിൽ അലിയുന്നു.
എങ്കിലും അറിയുന്നു, നീയെൻ ഹൃദയത്തിൽ,
ഒരു നോവായ് എന്നും ജീവിപ്പു.
മഴത്തുള്ളിയായ് നീ എൻ കവിളിൽ,
തഴുകുന്നുവോ മെല്ലെ?
കാറ്റായ് നീയെൻ കാതിലോതുന്നുവോ,
"ഞാൻ നിനക്കരികിലുണ്ട്"?
കാണാതായത് വെറും ശരീരമാണ്,
ആത്മാവ് മായാതെ എന്നും.
എൻ ഹൃദയത്തിൻ കോണിലെങ്ങോ,
നീ ഒരു നോവായ് ജീവിക്കുന്നു.

✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്

statusworld100748

અષાઢી સાંજના અંબર ગાજે,
વાદળો ઘેરાય, ઝરમર વરસે,
ઝાડની ડાળે કોયલ કૂજે,
મોરની માંડી નીલી લહેરાય.હવામાં ઠંડક, ધરતી ભીંજાય,
પવનની લહરી મનને ભજાય,
અષાઢી રાતે ચાંદની ઝળકે,
દિલના તારે સ્વપ્નો સજાય.

nidhi546142

સાવરે વેલા ઊઠીએ રાતે વેલા સુઈયા મન બુદ્ધિ ને ધન વધે સુખ માં રહે શરિર....

nidhi546142

બાળપણમાં આપણે ૧ રૂપિયો મેળવીને ખુશ થતા હતા પણ આજે ૧૦૦૦ રૂપિયા મેળવીને પણ ખુશ નથી થતા.

nidhi546142

*तेरे हिस्से की रोशनी*
चाहिए जो… वो वक़्त के साथ हम ढूंढ़ लेंगे,
कब से वह चाह हमारी, सनम की संग रह नहीं।

कोई जहाँ जवाब सच न रोये जाए,
ना जाने अपना वक़्त भी क्या अजीब सिलसिला प्यारा सा रह गया।

जो राम मेरे करीब से आए,
कहीं न कहीं वो हँसते हुए दम निकल रहे।

मुझे तो तेरे हिस्से में,
मेरी तक़दीर की वो रौशनी से ही चाहत है।

तेरे नाम की ख़ामोशी, अब मेरी दुआ बन गई है,
इश्क़ का जवाब, अब रब की इनायत सी लगती है।

जो पल टूटे नहीं थे, वही रूह बन गए हैं,
और जो पास थे, अब दूर से मुस्कुरा रहे हैं।
_Mohiniwrites

neelamshah6821

पिता की गोद, बेटी का संसार,
आँखों में सपने, प्यार बेशुमार।
हाथों की लकीरें, उसे संवारें,
हर कदम साथ, सपनों को उड़ाएँ।
बेटी की हंसी, पिता का गहना,
दोनों का बंधन, कभी ना सजेना।
दिल से दिल तक, प्यार का मेला।

nidhi546142

बेटी, तू है नन्हा सा सपना,
दिल में बसी, जैसे चाँद का चटकना।
तेरी मुस्कान से जगमगाए आँगन,
हर कदम तेरा, जैसे जीवन का रागन।तू है पंछी, जो उड़े गगन ऊँचा,
सपनों का पीछा करे, ना डरे रूखा।
तेरे हौसले से पहाड़ भी झुक जाएँ,
तेरी हँसी में सारी दुनिया समाए।

nidhi546142

नारी, तू है शक्ति का सागर,
हौसले से भरा तेरा आलम,
चुनौतियों को चीरती चली जा,
हर कदम पर लिख दे नया कलम।तूफानों में भी मुस्कान सजाए,
सपनों को सच करने की ठानी,
हर बाधा को तूने हँसकर ठुकराया,
तुझमें बस्ती है वो अटल कहानी।उठ, चमक, तू सूरज की किरण,
अंधेरों को मिटाए तेरा जुनून,
नारी, तू है अनघट का राग,
तेरे हौसले से खिले नया सवेरा सुनहरी||

nidhi546142

लहजा अपना ठंडा रखें जनाब
गरम तो हमें सिर्फ चाय पसंद है😂
पीने वाले दो चाय छः
---डॉ अनामिका--

rsinha9090gmailcom

५० किताबें, ५० कहानियाँ, और एक दिल से निकली आवाज़।
काठगोदाम की गर्मियाँ अब ५० पाठकों की ज़िंदगी का हिस्सा बन चुकी है।
ये सफ़र सिर्फ़ मेरा नहीं रहा — अब ये हम सबका है।
आपके प्यार और भरोसे के लिए दिल से धन्यवाद।
कहानी अभी बाकी है… 🌿📖”

#KathgodamKiGarmiyaan #AuthorLife #IndianWriters #HindiBooks #GratitudePost #Storyteller #BookMilestone #धीरेंद्र_सिंह_बिष्ट

dhirendra342gmailcom

श्री बप्पा रावल श्रृंखला खण्ड-एक 👇
https://www.matrubharti.com/novels/53707/by-the-bappa-rawal

विवरण : गुहिल या गहलौत वंश के बप्पा रावल मेवाड़ के वास्तविक संस्थापक माने जाते हैं क्योंकि मेवाड़ ने जो शक्ति, प्रसिद्धि और सम्मान प्राप्त किया वो इन्ही की देन थी। इसी राजवंश में से सिसोदिया वंश का निकास माना जाता है, जिनमें आगे चलकर महान राजा राणा कुम्भा, राणा सांगा, महाराणा प्रताप हुए। बप्पा रावल इनका नाम नहीं बल्कि इनके प्रजासरंक्षण, देशरक्षण आदि कामों से प्रभावित होकर जनता ने इन्हें बाप्पा पदवी से विभूषित किया था।

712 ईस्वी में, भारत पर पहला मुस्लिम आक्रमण हुआ जिसमें मुहम्मद बिन कासिम ने सिंध पर आक्रमण कर राजा दाहिर को हराया था। तब बप्पा रावल ने हिंदुस्तान के विविध राजाओं को एकजुट कर न केवल मुहम्मद बिन कासिम को हराया, बल्कि उसे ईरान तक खदेड़ दिया और उसके खलीफा तक पीछा किया।

बप्पा रावल (कालभोजादित्य) का इतिहास जानने के लिए अवश्य पढ़ें।

bapparawal418006

रोना अच्छा लगता है या यूं कहूं
अपनों के दिए तकलीफों को सहना अच्छा लगता है
खामोश हो जाना चाहती हूं मैं खुद में कही
खुद के खातिर अब जीना अच्छा लगता है.....

सो कर उठ जाए आंखों में पड़े ख्वाब
अब उन ख्वाबों को मिटाना अच्छा लगता है
कोई गैर न समझे तो अनोखा लगता है
कोई अपना समझने से मुकर जाए तो दिल बहुत रोता है
मिल कर बिछड़ना शायद किस्मत थी मेरी
अब तक़दीर को धुंधला कहना अच्छा लगता है.....


_Manshi K

manshik094934

ఎవడు...?

అవిద్యతో శిధిలమైపోయిన నా ఈ దేహమును
దేవాలయము గా సేయ జూచె దీనబంధుడెవ్వడు....
నాలో రక్కసుడు ని సంహరించి, ద్వైతము నుంచి అద్వైత
ఆనందపు అవధులను జూప హరుడెవ్వడు....
*అంతరం లో అలుముకున్న అజ్ఞానపు ముసురును
తరిమికొట్టి, కోటిసూర్యుల జ్ఞానా ప్రకాశాన్ని 'లో '
వెలుగొందజేయు పావనుడెవ్వడు.....
*తన పర భేద మెరుగక చెరపట్ట గా జూచె ,నాలోని
కాముకుడు ని కబళించ గా వచ్చే కాలకంఠుడెవ్వడు...
*'నేను' నేను' అనే నా అహాన్ని చంపి, తత్వజ్ఞానాన్ని బోధించేడి ఆ తాత్వికుడెవ్వడు....
నాది నాది అంటూ భ్రమలో బ్రతికేడి అల్పుడిని,
బ్రహ్మ్మము లోకి నడిపింప ఆ నారాయణుడెవ్వడు..
ఈ భవబంధాల సాలెగూడు నుంచి విడిపింప గా
మోక్షమిచ్చు ఆ విరూపాక్షుడెవ్వడు....
*అశాశ్వతపు ఇహమును విడచి సత్యమునెఱిగి శాశ్వతపు
పరమును'నే'చేరగా,సుందర సుమనోహరప్రేమపరిమళాలు చిందించు దరహాసమున, మధురమనోహరపుమధువులతో
మధురాధరామృతము కురిపించి మంత్రముగ్ధుల్ని చేయు
ఆ గోపాలుడి వేణునాదానికి 'నే''ను'గానమై పరవశింప
ఆత్మను పరిమళింపజేసితివి గద,
ఓ...నా..ప్రియ మాధవుడా.....!

.....మధు✍️

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મોટીવેશનલ
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મોળા પડવું પોસાય ક્યાં?
હાલત પર રડવું પોસાય ક્યાં?
હૈયા નું હામ પારખો..
લાચારી નું સિંહાસન હલાવો..
હિંમત થી જુવો આજુબાજુ
જે કઈ દેખાય એમાં જ છે અવસર
આજુબાજુ નહિ તો અંદર નિરખો.
જો હોય સોય પરોવવાની પણ આવડત
તો કામ છે.. આ જગત પાસે તમારા માટે..
ઓળખો તમારી આવડત,ચાલુ કરો કર્મ
કરતા રહો કર્મ કરતા રહો કર્મ.

yashibc123gmail.com135615

कभी-कभी शब्द बोझ बन जाते हैं…
वो बोझ, जो किसी और के लिए बस कुछ पंक्तियाँ हैं, लेकिन किसी टूटे हुए मन के लिए पूरी दुनिया होती हैं।

“शब्दों के बोझ” मेरी आत्मा से निकली एक ऐसी कहानी है, जो शायद आपके भीतर के राघव को छू ले।
राघव — एक साधारण इंसान, पर असाधारण तकलीफ़ें झेलता हुआ।
जिसने बार-बार लोगों को समझाने की कोशिश की,
पर हर बार, या तो अनसुना किया गया, या मज़ाक बना दिया गया।

“जब कोई चीज़ बार-बार कहनी पड़े,
तो शायद वो चीज़ कहने लायक नहीं रही।
या फिर कहने वाला थक चुका है।”

कितनी बार हम यही करते हैं ना?
किसी अपने से कुछ कहना चाहते हैं,
पर सामने वाला मोबाइल में उलझा होता है —
“बोल ना, मैं सुन रहा हूँ।”
पर असल में, वो सुन नहीं रहा, समझ नहीं रहा।

राघव की सबसे बड़ी गलती यही थी —
उसने लोगों से वैसी ही उम्मीद की, जैसी वो खुद था।
सच्चा, ईमानदार, भावुक।
लेकिन हर बार उसे चुप्पी मिली, या ताने।

फिर एक दिन, उसने अपनी डायरी में लिखा —
“मुझे कोई नहीं समझा, पर मैं खुद को समझता हूँ।”
यही आत्मबोध की शुरुआत थी।

अब वो कम बोलता है, पर गहराई से जीता है।
अब उसे दूसरों की मंज़ूरी नहीं चाहिए —
बस आइने में खुद से नज़र मिलाना आता है।

“जब बोल-बोलकर थक जाओ,
तब चुप्पी सबसे ऊँची चीख बन जाती है।”

“शब्दों के बोझ” कोई कहानी नहीं —
ये उन अनकहे एहसासों की दास्तान है,
जो हर उस दिल ने जिए हैं,
जिसे कभी किसी ने नहीं सुना।

अगर आपने कभी खुद से बात की है,
या अपनी खामोशी को दोस्त बनाया है,
तो ये किताब आपके लिए है।

✍🏻 लेखक: धीरेन्द्र सिंह बिष्ट
📘 “शब्दों के बोझ” – अब उपलब्ध MatruBharti पर
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dhirendra342gmailcom

सोचो तनिक तुम भी उनका,
जो भूखे पेट सोते हैं,
पेट में लगी आग के खातिर,
रात भर रती ना सोते हैं,
कोई प्लेट आदी छोड़ दे,
किसी को रोटी मिले ना आदी,
भूखी सोती है विश्व की,
कई करोड़ आबाद,
कुछ रातों को भूखा सोत,
कुछ करते बर्बादी।
#कविता
#हरीश

harishkumar6240

*वक़्त के साए*

हसीन पल कहीं ठोकर में टूटे,
ख्वाब थे जो प्यारे, तक़दीर से भी ज़्यादा।

वफ़ा की आरज़ू की, मगर जतन काम ना आए,
जो चल पड़ा, वो मेरे साए को भी ठुकरा गया।

धड़कते सीने से उठी थी एक पुकार,
जिसे नज़रअंदाज़ कर गया वो बेख़बर यार।

वो ज़रिया था जो बहा,
पर हम ना साथ रहे,
बस रह गए लम्हे, जो अब सिसकियाँ बन बहते हैं।

चल, ऐ मेरे यारा,
कुछ तो पलकों को थाम ले, थक गई हैं ये भी अब रोते-रोते।

क्यों कोई ना मिले,
जब तू ही हर शाम में साथ रहे?
शायद जवाब कोई ना हो
बस तन्हाई ही हो, जो हमेशा साथ रहे...
_Mohiniwrites

neelamshah6821

ഓർമ്മകളിലൊരു മാതൃസ്വരം

അമ്മയുടെ ശബ്ദമൊരു
താരാട്ടുപോൽ എൻ കാതിൽ,
അമ്മതൻ ശബ്ദം മായും മുമ്പേ.
സ്നേഹത്തിൻ മാധുര്യമലിയുന്നൊരീണം,
ഹൃദയത്തിൻ കോണിൽ നിത്യം നിറയും.
നൊമ്പരത്തിൽ തലോടലായ്,
സന്തോഷത്തിൽ ഉണർത്തുപാട്ടായ്.
ഓരോ വാക്കിലും ഒരു ലോകം,
അമ്മതൻ സ്നേഹത്തിൻ സാഗരം.
രാവിന്റെ നിശബ്ദതയിൽ,
ഒരു മന്ത്രം പോൽ മുഴങ്ങുന്നു.
കണ്ണീരുപോലും പുഞ്ചിരിയാക്കും,
അമ്മേ, നിൻ ശബ്ദം അമൃതിൻ ധാര.
ദൂരങ്ങൾ മായ്ച്ചാലും കാലം മാറിയാലും,
മായാതെ നിൽക്കും നിൻ ഓർമ്മകൾ.
അമ്മേ, നിൻ ശബ്ദം എൻ ജീവശ്വാസം,
എന്നും എൻ കൂടെ, എൻ ആത്മാവിൻ ഭാഗം.

✍️തൂലിക _തുമ്പിപ്പെണ്ണ്

statusworld100748

हरी चूड़ी लाल बिंदी मांग सिंदूर से भरी,
उपासक बनकर उपवास रख
कर करे उपासना शिव की।
हे गौरी गणेश शंकर पार्वती ,
करना रक्षा हमारे सुहाग की ।

bita