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क्या आप भी उत्साहित हैं? 😊
क्योंकि कल आ रही है एक नई प्रेम कहानी...
कुछ ख़ास लम्हों और एहसासों के साथ।
सिर्फ आपके लिए। ❤️
#LoveStory #ComingTomorrow #नईकहानी #MatruBharti
🌙 मीठे सपनों की रात 🌙
चाँदनी बिखरी है आसमां में,
तारों की बारात है,
नींद की रानी आई है,
सपनों की सौगात है।
सुकून भरी ये ठंडी हवा,
मन को भी भाए,
थकन सभी अब उड़ जाए,
ख्वाबों में रंग छाए।
रात ने ओढ़ी चादर काली,
सितारे करते हैं बातें,
फरिश्ते लोरी गाते हैं,
मीठी-सी सौगातें।
आँखों में बस जाए खुशी,
हर सपना सच हो जाए,
सुबह जो जब आँख खुले,
हर पल रोशन हो जाए।
तो कहता हूँ मैं धीरे से,
शुभ रात्रि, मीठे सपने,
दिल से दूं दुआ तुम्हें,
हर रात बने सुनहरी यादें।
इंसान जब किसी बात को कहता है, कोई वादा करता है, कोई लक्ष्य तय करता है, तो अक्सर उसे पूरा नहीं कर पाता। इसका एक बहुत बड़ा कारण यह होता है कि वह स्वयं की नज़रों में ही महत्वपूर्ण नहीं होता। वह खुद को कमज़ोर, असमर्थ या फिर आम इंसान मान लेता है, जिसकी बातों का कोई खास महत्व नहीं है। ऐसे में जब वह खुद ही अपने विचारों, लक्ष्यों या वादों को गंभीरता से नहीं लेता, तो दुनिया भी उसे गंभीरता से नहीं लेती।
दूसरा अहम कारण यह होता है कि इंसान बहुत बार दूसरों की बातों से ज़्यादा प्रभावित हो जाता है। समाज, परिवार, दोस्त या आसपास के लोगों की सोच का उसके मन पर इतना असर हो जाता है कि वह अपने असली लक्ष्य से भटक जाता है। वह तय नहीं कर पाता कि किस दिशा में जाना है, क्या वास्तव में उसे वही करना है, जो उसने पहले सोचा था। इस असमंजस की स्थिति में वह किसी एक चीज़ के प्रति गंभीर नहीं रह पाता, और यहीं से शुरुआत होती है अधूरी बातों की, अधूरे वादों की और अधूरे सपनों की।
अब सवाल उठता है कि इंसान का ऐसा स्वभाव क्यों और कब बनता है?
जब कोई व्यक्ति लगातार असफल होता है, जब उसे बार-बार यह महसूस कराया जाता है कि वह कुछ खास नहीं है, तब उसके भीतर हीन भावना घर कर जाती है। वह खुद को कम आंकने लगता है। यही वह समय होता है जब इंसान अपने विचारों को भी कमजोर समझने लगता है। वह सोचता है कि “क्या फर्क पड़ता है, अगर मैंने कुछ कहा और वो पूरा नहीं किया?” यह सोच धीरे-धीरे उसकी आदत बन जाती है।
इसके अलावा, आज के समय में विकल्पों की भरमार ने भी इंसान को भ्रमित कर दिया है। वह किसी एक चीज़ पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाता। हर समय नया कुछ करने की चाह, comparison और सोशल मीडिया पर दिखावे की दुनिया ने इंसान की स्थिरता छीन ली है।
इसलिए ज़रूरी है कि इंसान खुद को समझे, खुद की बातों को महत्व दे और जब कुछ कहे तो उसे पूरा करने की ठान ले। यही आत्म-विश्वास की असली निशानी है।
— धीरेन्द्र सिंह बिष्ट
लेखक: मन की हार ज़िन्दगी की जीत
#mind #mindset #quote #quotestitchers #alone #yababa #dhirendrasinghbisht
✤┈SuNo ┤_★_🦋
न कोई ग़म है अब, न कोई
शिकवा ज़माने से,
बस एक आस बंधी है, तेरे
आशियाने से,
तू दिखा चाहे ज़ितने भी
नख़रे, मैं उठा लूँगा,
हर मुश्किल तेरी राहों की
खुद में समा लूँगा,
ये क़दम न रुकेंगे कभी, ये
हौसला न टूटेगा,
हर इम्तिहां तेरी ख़ातिर मैं
हंसकर पार कर लूँगा,
जलते अंगारे हों, या तूफानों
का शोर भी आए,
तेरी मंज़िल तक पहुँचने को
हर क़तरा बहा दूँगा,
ये दिल है तेरा, धड़कनें तेरी,
और रूह भी तेरी,
तेरी रज़ा ही होगी, जो तू
चाहेगा, वो कर दूँगा,
न कोई अफ़सोस होगा न
कोई आह निकलेगी,
तेरी खुशी की ख़ातिर, मैं
खुद को मिटा लूँगा,
ये दुनिया लाख समझाए, मैं
न समझ पाऊँगा,
मेरा इश्क़ है ऐसा कि मैं बस
तुझे ही चाहूँगा,
गर मौत भी आ जाए तेरी
चौखट पर 'ऐ हमदम'
लगा कर गले मैं उसे भी
इस्तक़बाल कर लूँगा..❤️
╭─❀🥺⊰╯
✤┈┈┈┈★┈┈┈┈━❥
♦❙❙➛ज़ख़्मी-ऐ-ज़ुबानी•❙❙♦
#LoVeAaShiQ_SinGh 😊°
✤┈┈┈┈┈★┈┈┈━❥
ભૂમિતિનો પાયો એ,
ક્ષેત્રફળ અધૂરા જેનાં વિના!
વિસ્તરે એ અનંત સુધી,
કિંમત એની 22/7.
લખવી જો હોય કિંમત દશાંશમાં,
થાકી જાય લખનાર!
3.141592653589.....
કેટલા આંકડા લખું હું,
નથી સમજ એટલી મને!
આથી જ લેવી પડે છે કિંમત એની
3.14 અથવા 22/7
નથી શોધી શક્યું કોઈ કિંમત
πની ચોક્ક્સ હજુ!
એટલે જ તો ઉજવવો પડે છે,
22 જુલાઈએ
'પાઈ અંદાજિત દિવસ'
https://www.matrubharti.com/book/19977720/megharaja-festival
ભરૂચ અને એની આસપાસ વસતાં તમામને આ ઉત્સવ વિશે માહિતિ હશે જ!
तुम समझोगे क्या…????
जब अपने ही सवाल बन जाएँ,
और जवाब देने वाला कोई न हो।
जब दिल बोले बहुत कुछ,
पर होंठ बस ख़ामोश रह जाएँ.....
तुम समझोगे क्या…
वो अकेलापन, जो शोर के बीच भी
चुपचाप मेरे साथ रहता है,
जिसे कोई देख नहीं सकता,
पर वो हर वक़्त सीने पर पत्थर-सा बैठा रहता है.....
तुम समझोगे क्या…
जब किसी को सबकुछ दे दिया हो,
और फिर भी वो कह दे"तुमने किया ही क्या है?"
जब हर ख़ुशी उसके नाम कर दी हो,
और बदले में बस एक "अजनबी" शब्द मिल जाए...
तुम समझोगे क्या…
कभी-कभी सिसकियाँ भी बोलती हैं,
पर तुम तो आदत में हो,
सिर्फ़ आवाज़ें सुनने को बेचैन रहती हूं...
तुम समझोगे क्या…
मेरी हर एक परेशानी को जो
तुमसे दूरियां बढ़ने का एहसास करवाता है...
हम क्यों मुस्कुराते हैं दूसरों के सामने?
क्योंकि हमारे आँसू अब लोगों को बोझ लगता है.....
तुम समझोगे क्या...??
उस वक्त जब मैं खुद को खत्म करने की बात करती हूं
सिर्फ सोचती नहीं हूं एक दिन कर जाऊंगी
क्योंकि मेरा जीना बेमतलब लगता है..…...
_Manshi K
"फ़रिश्ते की तरह…"
सफ़ेद कोट में छुपा एक फरिश्ता होता है,
हर दर्द को अपनी मुस्कान से हरता होता है।
धड़कनों की जुबां वो बिन कहे समझ जाता है,
ज़ख्म क्या है, ये तो बस छूकर जान जाता है।
ना थके हैं कभी, ना रुकने की बात की,
हर जान बचाने की बस सौगंध उठाई थी।
वो डॉक्टर ही है जो खुद को भूल कर,
किसी और के लिए ज़िंदगी बन जाता है।
kajal Thakur 😊
बर्फ़ सिर्फ़ ठंडक नहीं देती, वो दिल के उन कोनों को भी छू जाती है, जहाँ पुराने राज़ और अधूरी कहानियाँ दबी होती हैं।
‘बर्फ़ के पीछे कोई था’ सिर्फ़ एक किताब नहीं, एक अहसास है – जहाँ हर पन्ना आपको अपने भीतर झाँकने पर मजबूर करता है।
पढ़ना सिर्फ़ शब्दों को समझना नहीं होता, कभी-कभी वो अपने भीतर की सच्चाई से मिलने जैसा होता है।
कौन-सी किताब ने आपको अपने अंदर की दुनिया से मिलवाया है?”** ❄️📖
⸻
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