श्रापित एक प्रेम कहानी

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अमावस्या की रात थी और रात के 11 बज रहे थे । भानपुर गांव का एक तांत्रिक अपनी तात्रिकं साधना करने के लिए सुंदरवन की तरफ जा रहा था । गांव मे ये मान्यता थी के जो कोई भी तात्रिकं अमावस्या की मध्य रात्री को साधना करेगा उसे असिम शक्ती के साथ साथ अपार धन भी प्राप्त होता है । घना जंगल, चारों ओर धुंध, चाँद गायब, केवल मशालों की मद्धम रोशनी > "अमावस्या की रात थी… जब पूरा भानपुर गाँव अपनी साँसें थामे बैठा था।" क्योकि हर अमावस को भानपुर मे आता है एक कहर मौत का कहर । गांव मे सभी सांत और डर से चुप चाप अपने घर के अदर बैठे थे तभी वहां पर तेज वहां चल रही थी ----

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 1

अमावस्या की रात थी और रात के 11 बज रहे थे । भानपुर गांव का एक तांत्रिक अपनी तात्रिकं करने के लिए सुंदरवन की तरफ जा रहा था । गांव मे ये मान्यता थी के जो कोई भी तात्रिकं अमावस्या की मध्य रात्री को साधना करेगा उसे असिम शक्ती के साथ साथ अपार धन भी प्राप्त होता है ।घना जंगल, चारों ओर धुंध, चाँद गायब, केवल मशालों की मद्धम रोशनी> "अमावस्या की रात थी… जब पूरा भानपुर गाँव अपनी साँसें थामे बैठा था।" क्योकि हर अमावस को भानपुर मे आता है एक कहर मौत का कहर ।गांव मे सभी ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 2

साधक गुस्से से कहता है ---साधक :- तुने मेरी सारी मेहनत पर पानी फेरा , मेरी ब्रम्हचार्य की परीक्षा , पर जब मेरा ब्रह्मचार्य टूट ही गया है तो क्यो ना तुझे पुरी तरह से भोगा जाए ।इतना बोलकर वो साधक अपने जेब से कुछ निकालता है और एक मंत्र पड़ता है ---साधक :- > “ओम् मनोहराय नमः” > “चन्द्रकान्ता तेजो भूते”इतना बोलकर वो साधक उस परी के उपर भस्म फेंक देता है जिससे परी की ताकत कमजोर पड़ जाती है और वो साधक उस परी को पकड़कर उसे जमीन मे लिटा देता है ।परी साधक से ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 3

दक्षराज को एक गेरुआ वस्त्र पहनने ध्यान में लीन एक बाबा दिखई देता है। जिनकी बड़ी बड़ी दाड़ी मुछे तथा हाथ , पैर औऱ मुह में भस्म लगा था । "और उनके दोनो और एक एक सेवक खड़े थे , ताकी बाबा के ध्यान में कोई बाधा ना आए । बाबा के पास एक त्रिसुल था और सामने कुछ मानव खोपड़ियां।वो बाबा ध्यान मे मग्न था ।ये बाबा कोई और नहीं बल्की अघोरी बाबा है। दक्षराज अघोरी बाबा के सामने हाथ जोड़ कर चुप चाप खड़ा था । तभी बाबा ध्यान में रहते ही कहता है ।अघरी बाबा ---- ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 4

अघोरी कहता है ----तुझे ये मणि शुद्ध करना होगा और तेरा कार्य पूर्ण होगा और तु श्राप से मुक्त जाएगा ।दक्षराज कहता है ।दक्षराज ---- इंसान का रक्त बाबा ?अघोरी कहता है ।बाबा ---- ह़ा़ दक्ष इंसान के छाती का रक्त। ! और वो भी किसी ऐसे इंसान की जो पूर्णिमा तिथि के रोहिणी नक्षत्र के बरियान योग में जन्मा हो । ऐसे इंसान की तलाश करके तुझे उसके रक्त से मेघ मणि को अभिषेक करना होगा । क्योकी ये देत्य मणी है और देत्य मणी केवल रक्त से ही शुध्द होती है दक्षराज ।अघोरी की बात सुनकर दक्षराज ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 5

आज से तीन माहिना तक मतलब जन्माष्टमी तक इसका मृत्यु योग चलेगा । इन तीन महिनो तक इस पर भारी रहेगी । इतना सुनकर इंद्रजीत एकांश और गिरी तीनो के होश उड़ जाते हैं । इंद्रजीत घबरा कर कहता है । ये..ये..ये..ये आप क्या कह रहे हैं बाबा ? मृत्यु योग ! मेरे बेटे पर ? साधु बाबा कहता है । हाँ बेटा मृत्यु योग । साधु बाबा एकांश को अपने पास इशरे से बुलाता है और कहता है । बेटा मेरी बात सुनकर तू घबरा गया क्या ? एकांश कहता है । नहीं बाबा में घबरा नहीं रहा ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 6

सत्यजीत :- एकांश गिरी ने फोन किया था। वो धापा लेकर आ रहा है।सत्यजीत की बात सुनकर एकांश अपने पर हाथ रख के कहता है।एकांश :- हे भगवान हो गया कल्याण। इनको भी अभी आना था ।सत्यजीत इतना बोला ही था के तभी सत्यजीत की नजर मीरा पर पढ़ती है जो सत्यजीत को ही देख रही थी जिसे दैख कर सत्यजीत की बोलती बंद हो जाती है। सत्यजीत घबरा कर एकांश की और देखता है और इशारा करके पुछता है।सत्यजीत :- क्या हुआ ??एकांश हाथ को गले में ले जा कर इशारा करता है। गए काम से एकांश मन ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 7

वो जंगल इतना घना था के किसी भी रोशनी का वहां पँहूचना ना मुमकीन था एकांश अपनी नजरे इधर घुमाता है तो एकांश को अपने आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था के इस जंगल में इतनी सुंदर जगह भी हो सकता है ।जिसके बारे में आज तक किसको ना मालुम है और ना कभी सुना है । वहां पर बहते पानी की सुंदर आवाज और चारो और रंग बिरेंगे फूल उस जगह को और भी रोमांचक बना रहा था के जैसे ये धरती नहीं कोई और लोक है ।एकांश.. जो कुछ दैर पहले हांफ रहा था अब उसकी ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 8

वर्शाली के इतने करीब आने से एकांश का दिल जौर जौर से धड़क रहा था । एकांश बस वर्शाली दैखे जा रहा था । फिर वर्शाली अपना हाथ एकांश के सिने पर रख देती है । वर्शाली के छुने से एकांश के पुरे शरीर पर बिजली जैसी करंट दौड़ जाती है और दिल धड़कन अब और तेज हो जाती है ।वर्शाली कहती है ।वर्शाली :- ये क्या एकांश जी आपका दिल तो जौर जौर से धड़क रहा है ।एकांश कुछ कहता इससे पहले वर्शाली कहती है ।वर्शाली :- आज के लिए इतना ही एकांश जी । मैं कल फिर ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 9

आलोक दक्षराज की और देखता है और कहता है ।आलोक :- वो एक काम है इसिलिए मुझे जाना होगा बोलकर आलोक वहा से चला जाता है ।दक्षराज नीलू को इशारा करके आलोक के पिछे जाने कहता हैं तो नीलू भी वहा से आलोक के पिछे चला जाता है । दक्षराज अपने चादर के अंदर से मणि को निकलाता है उसे फिरसे देखने लगता है ।इधर आलोक एकांश को लेकर बाइक से सुंदरवन की और जा रहा था । के तभी आलोक को उसके पिछे नीलू दिखई देता है जो इन दोनो का पिछा कर रहा था। आलोक अपने मन ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 10

चतुर गुस्से से कहता है ।चतुर :- क्या बोला बे छक्क....... साले रुक तु ।इतना बोलकर चतुर गुना को जाता है । तो गुना चतुर को रोकते हूए कहता है -----गुना :- रुक जाओ , रुक जाओ ----- बस यही दोस्ती यही प्यार।गूना के इतना पर सभी हंसने लगता है और फिर गूना सबके लिए चाय बिस्किट लगाने को कहता है ।गुना :- चाचा सबके लिए चाय बिस्किट ले कर आओ । आज मेरा दोस्त मर्द बना है ।चतुर समझ जाता है के गुना उसका मजा ले रहा है इसिलिए अब वो बिना कुछ बोले चुप चाप बैठा रहता ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 11

चटान सिंह कहता है ----चट्टान सिंह :- वो इंद्रजीत का बेटा एकांश आया है ना । लंदन से डॉक्टर पढ़ाई करके तो गांव में अस्पताल खोलने की खुशी में उन्होनें आज घर में पार्टी रखी है और हम सबको बुलाया है ।सोनाली कहती है ---सोनाली :- सुना है के वो बड़ा ही शर्मिला है और देखने में बहुत सुंदर है और गांव मे फ्री में सबका इलाज करेगा ।सोनाली खुश होकर कहती है ---सोनाली :- हांजी क्यो ना वृंन्दा के लिए एकांश के घरवाले से बात कीया जाए ।चट्टान सिंह वृंदा के गाल को छुकर कहता है ----चट्टान सिंह ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 12

चतुर कहता है -----चतुर :- तुम दोनो पागल हो । अब यहां रुक के क्या फ़ायदा । जल्दी निकलो से वर्ना अब हमलोग सब गायब हो जाएंगे । क्यूंकी वो इसी जंगल में रहता है । ये उसकी का चाल है , हममे से कोई नही बचेगा ।एकांश गुस्से से कहता है ----एकांश :- आखीर क्या कर लेगा कुम्भन यहां आके जो तुम सब इतना डर रहे हो । इतने साल हो गए क्या किसीने कुम्भन को देखा है ? ये सब बातें पुरानी हो चुकी है । अब यहां कोई नही रहता सिवाय तुम्हारे डर के।तभी गुना कुछ ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 13

आलोक :- पुराणों मे तो मैने भी पड़ा है के दैत्य , राक्षस और दानव और सभी अपनी लोक रहते है , और ये भी पड़ा था के देवता और दैत्यों मे एक संधी हूआ था के वो फिर कभी पृथ्वी वासियों को परेशान नही करेगें और ना ही मारेगें ।एकांश कहता है ---एकांश :- अगर ऐसी बात है तो ये इस युग मे कैसे आ गया और सबको मार क्यू रहा है । और फिर आज जो मैने दैखा और सुना .....!एकांश इतना बोलकर चुप हो जाता है ।आलोक कहता है ---आलोक :- तुझे याद है एकांश बचपन ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 14

आलोक जवाब देता है ---आलोक :- किया था यार....! तेरे पापा और कुछ गांव वालो ने मिलकर सबके घर पुछा पर किसी को भी उस मणि के बारे मे नहीं पता था।एकांश कहता है ---एकांश :- ऐसा कैसे हो सकता है। किसी के पास तो मणी जरूर होगा। क्यू ना हम लोग उस मणि के बारे मे पता लगाए ।गुना कहता है ---गुना :- पर कैसे एकांश। जब तुम्हारे पापा और सभी गांव वाले मिलकर पता नहीं लगा पाए तब हम कैसे ?आलोक कहता है ----आलोक :- एक रास्ता है।सभी हैरानी से आलोक की और देखकर कहता है।सभी एक ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 15

वृंदा अंजान बनाते हैं पूछती हैं---वृदां :- अच्छा संपूर्णा आज पार्टी किस खुशी में दी जा रही है।संपूर्णा कहती :-- हां हां.. अब ज्यादा बनो मत चल मुझे पता है तुम सब क्यूं पुंछ रही है।वृंदा पुछती है--वृदां :- क्या पता है तुझे?संपूर्णा कहती है---संपूर्णा: - यही जो तू सुनना चाहती है के भाई वापस आ गया है।वृंदा कहती है ----वृदां :- तुझे कैसे पता के मैं यही पूछने वाली हूँ ।संपूर्णा कहती है----सपूर्णा :- तेरी आँखों की चमक बता रही है पगली। इसिलिए तो तुझे वहा दौ दिन और रखने का परमिशन भी ले लिया है। ताकी तू ...Read More

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श्रापित एक प्रेम कहानी - 16

एकांश कहता है-----एकांश :- अरे वाह शेम्पु समोसा लेकर आ गई वहां टेबल में रख दो ।इतना बोलकर एकांश मुड़ता है। तो वृंदा को दैख कर वो घबरा जाता है और अपने हाथ से अपने छाती को ढकने लगता है ।एकांश हकला कर कहता है----एकांश :- तू...तू...तू...तू...तुम..! तुम यहां कैसे ?वृंदा हंसती हुई बेड से चादर उठा कर एकांश को देता है और कहती है-----वृदां :- ये लो और ढक लो अपने नंगे सरिर को।एकांश बेड शीट लेता है और अपने शरीर को ढकने लगता है। वृंदा हंसती हुई कहती है--–वृदां :- लड़का होके इतना शर्मा क्यूं रहे हो..? ...Read More