चटान सिंह कहता है ----
चट्टान सिंह :- वो इंद्रजीत का बेटा एकांश आया है ना । लंदन से डॉक्टर की पढ़ाई करके तो गांव में अस्पताल खोलने की खुशी में उन्होनें आज घर में पार्टी रखी है और हम सबको बुलाया है ।
सोनाली कहती है ---
सोनाली :- सुना है के वो बड़ा ही शर्मिला है और देखने में बहुत सुंदर है और गांव मे फ्री में सबका इलाज करेगा ।
सोनाली खुश होकर कहती है ---
सोनाली :- हांजी क्यो ना वृंन्दा के लिए एकांश के घरवाले से बात कीया जाए ।
चट्टान सिंह वृंदा के गाल को छुकर कहता है ----
चट्टान सिंह :- अगर मेरी बेटी हां करे तो जरूर करूगां । मेरी बेटी भी किसी से कम है क्या । वो एकांश भी इसके सामने फेल है ।
वृदां सरमाते हूए वहां से चली जाती है ।
चट्टान सिंह और सोनाली हसने लगता है और दोनो वहां से चला जाता है ।
वृंदा मन में सोचती है ----
वृदां :- अच्छा तो वो हैंडसम लड़का एकांश है । तब तो पार्टी मे जाना पड़ेगा । एकांश जी संभलकर रहना मैं आ रही हूँ । मेरी खुबसूरती दैखकर कही तुम पागल ना हो जाओ ।
इधर एकांश और उसके दोस्त सभी जंगल के काफी अंदर तक चला जाता है । जहां से जंगल काफी घना हो गया था ।
गुना अपना मोबाइल का टॉर्च जला कर कहता है ----
गुना :- यार एकांश इस जंगल मे दिन में इतना अँधेरा है तो रात में यहां कितना भायंकर अँधेरा होगा । तू सच तो बोल रहा है ना । इतनी अंधेरा में तू कैसे आया था ?
सभी धिरे आगे बड़ते जा रहा था सभी के दिल मे सिर्फ एक ही डर था वो था कुम्भन का डर । सभी एक दुसरे का हाथ पकड़े धिरे धिरे आगे बड़ रहा था । एकांश और सभी चुप चाप आगे बढ़ने लगते हैं ।
हर तरफ से जंगली जानवरो का भयानक आवाजे आ रहा था । उस अंधेरी जंगल में जनवारो की भयानक आवाज ने सबके दिल की धड़कने तेज कर दीया था ।
तभी चतुर कहता है ---
चतुर :- इतनी घनी अँधेरी जंगल में भला कौन रहता होगा एकांश । तूने सच में जरूर कोई सपना देखा है । मैं अभी भी कहता हूं यार आगे जाना सही नही होगा । वापस लौट चल मेरे भाई । क्योंकि यहां जो भी आया है उसके साथ कुछ न कुछ गलत हुआ है ।
गुना डरते हूए कहता है ----
गुना :- यार मुझे भी ये जगह कुछ ठिक नही लग रहा है । तुझे जरुर कुछ गलतफहमी हूई होगी । चल ना वापस चलते है चतुर सही बोल रहा है । मुझे नही लगता के आगे जाना सही होगा ।
तभी आलोक कहता है ----
आलोक :- तुम दोनो अपना मुह बंद रखोगे । तब से बकर बकर किये जा रहे हो । अगर इतना ही डर लग रहा है तो तुम दोनो यहां से वापस जा सकते हो ।
आलोक के इतना कहने पर चतुर और गुना वापस तो जाना चाहते थे पर जब दोनो पिछे मुड़कर देखता है तो घोर अंधोरा के सिवा उन दोनो को और कुछ नही दिखता है ।
दोनो एक दुसरे का मुह ताकता है पर दोनो का अकेले वहां से जाने का हिम्मत नही था , इसलिए दोनो एक साथ कहता है -----
चतुर और गुना एक साथ कहता है :- नही यार हम तुम्हें यूं अकेला छोड़कर नही जा सकते । अगर हमारे नसीब मे कुंम्भन के हाथो मरना ही लिखा है तो वही सही सब साथ मे मरेगें , पर तुम दोनो तो यू अकेला नही छोड़ेगें ।
आलोक और एकांश जानता था के इन दोनो मे वापस जाने की हिम्मत नही थी इसिलिए वो लोग ऐसा बोल रहे थे । दोनो एक दुसरे को दैखकर हल्की मुस्कान देता है और आगे बड़ने लगता है ।
तभी गुना के ऊपर पेड़ से एक लता आ कर गिर जाता है जिससे सांप समझकर गुना जोर से चिल्लाता है ।
गुना :- उइइइ... माँ…सांप…! सांप ......
गुना के चिल्लाने से सब डर जाता है और एक साथ चिल्लाने लगता है ।
सभी एक साथ :- आआआ .........!
गुना चिल्लाकर कूदकर आलोक के गौद में चढ़ जाता है।
आलोक चिल्लाते हुए गुना के ऊपर लता को देखता है और कहता है ----
आलोक :- चुप , अबे चुप..चूप्प...! साले कोई सांप वांप नहीं है ये लता है लता ।
चतुर लता को हाथ में लेकर देखता है और घबरकर अपने दिल पर हाथ रखकर गुना के सर में हलके हाथ से मार कर कहता है -----
चतुर :- साले लता को सांप बोलकर डरता है दरपोक । साला हार्ट फेल होते होते बच गया । खुद तो मरेगा और हमे भी मरवायेगा । उफ्फ .... साला जान निकल ही गया था बस ।
गुना सर ख़ुजते हुए कहता है +--------
गुना :- सॉरी यार वो मुझे लगा सांप है ।
चतुर कहता है ------
चतुर :- तेरे सांप के चक्कर मे ना मैं आज उपर जाते जाते बच गया । अब चल और आगे से ऐसी हरकत की ना तो मुझसे बुरा कोई नही होगा ।
चतुर के इतना बोलकर सभी फिर से आगे बढ़ने लगते है । आलोक एकांश से पुछता है । और कितनी दूर एकांश ?
एकांश कहता है । बस कुछ दूर आगे एक पैड़ है जिसमे बड़ी बड़ी लता झूल रही उसी के सामने है वर्षाली का घर और वो झरना ।
सभी उस पेड़ के पास पँहूच जाता है जिसके निचे एकांश खड़ा था । पेड़ को देख कर आलोक कहता है -----
आलोक :- पेड़ तो बिल्कुल वैसा ही है जैसा तुमने बताया था , पर यहां तो कोआ नही है वो वर्शली कहा है और वो झरना ?
एकांश आगे की और अपने हाथ से इशारा करते हुए कहता हैं ----
एकांश :- वहां पर था उस जग में । सभी जल्दी जल्दी चलने लगता है और उस जगह पर पँहुच जाता है जिस जगह के बारे में एकांश ने बताया था ।
पर ये क्या एकांश देखता है के वहा पर न ही कोई घर था और ना ही नहीं कोई झरना ।
आलोक एकांश से पुछता है ----
आलोक :- एकांश कहा है वो झरना और वो वर्षाली ? यहां पर तो कुछ भी नही है । तुम्हें ठिक से याद है ना के ये वही जगह है जहां पर तुम आए थे ।
एकांश कहता है -----
एकांश :- हां यार ये वही जगह है पर ये कैसे हो सकता है ।कल रात को तो मैं इसी जगह पर आया था ।
एकांश कुछ दूर चल कर जाता है और कहता है ----
एकांश :- ये ...इसी जगह पर कल रात को मैं खड़ा था और वर्षाली वहां... उस जगह पर । वहा पर एक झरना था । हम दोनो ने यहां पर बहोत सारे बाते की ।
गुना कहता है ----
गुना :- पर यार तुने तो कहा था के यहां पर बहुत रोशनी थी पर सिवाय अंधेरा के यहां कुछ भी नहीं है । कही ये सब कुम्भन की माया तो नही है । वो हमे यहां पर बुलाकर हमे मारकर हमारा कटा सर बाहर फेंक देगा ।
चतुर :- तु ठिक बोल रहा है बे । हमे यहां नही आना चाहिए था । एकांश तेरे सपने पे भरोसा करके हम यहां पर आ गए । मैं तो पहले ही मना कर रहा था पर तुम लोग ही नही माने , अब पता नही वो कुम्भन क्या करेगा ।
आलोक दोनो को डांडते हूए कहता है ----
आलोक :- तुम दोनो शांत रहोगे प्लिज । एकांश जान बुझकर ऐसा कभी नही करेगा वो बोल रहा है के आया था तो इसका मतलब आया था । और वैसे भी इस जंगल के बारे मे हम जानते ही कितना है । ये एक रहस्यमय जंगल है तो जरा शांत रहो ।
आलोक एकांश के पास जा कर कहता है ----
आलोक :- एकांश क्या तू सच में यहां कल आया था ?
एकांश आलोक से कहता है -----
एकांश :- हां यार मेरा यकीन कर पर मुझे समझ में नहीं आ रहा है यार , के ये सब कैसे संभव है । ये अचानक सब गायब कैसे हो क्या । एकांश आलोक का हाथ पकड़ कर कहता है । मेरा विश्वास करो यार मैं सच कह रहा हूं ।
आलोक कहता है ----
आलोक :- मुझे तुम पर भरोसा है यार ।
तभी चतुर कहता है -----
चतुर :- तुम दोनो पागल हो । अब यहां रुक के क्या फ़ायदा । जल्दी निकलो यहां से वर्ना अब हमलोग सब गायब हो जाएंगे । क्यूंकी वो इसी जंगल में रहता है । ये उसकी का चाल है , हममे से कोई नही बचेगा ।
To be continue.....134