तुम विरोध करो।
ग़लत हो रहा है तो विरोध करो ।
तुम युद्ध लड़ो।
सब युद्ध तलवारों से लड़ें नहीं जाते।
कुछ युद्ध मन भीतर की आवाज सुनकर लडो।
अन्याय,असत्य और ग़लत
के खिलाफ बगावत करो।
तलवार नहीं बस तुम अपनी कलम को क्रियाशील करो।
कलम कागज़ की दोस्ती से सून पड़े दिमागों में नवचेतना का संचार करो।।