काश तू भी मेरे हालात समझता
इस खामोशी में छिपी हर बात समझता
मुझे खुशी होती कि तू समझता है मुझे
गर तू भी मेरे जज्बात समझता
ये निगाहें भी आंसूओं का समंदर न होती
गर तू इनके अल्फाज समझता
बन्द जुबाॅ की बात समझता
दिल मेें उठा शैलाब समझता
मैं खुश होती गर तू मेरी जुबान समझता।।
मीरा सिंह