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Meera Singh

Meera Singh

@meerasingh3946


गंगा की निर्मल धारा पूछे
कहाँ गया तो मधु का मधुमास
भोले के मस्तक पर है शोभित
फैला शशि का प्रलय प्रपात।
धौला वल्कल उज्जवल शोभित
करती मानव का परित्राण
काशी में कलकल ध्वनि बिखेर
करती भोले का सुलभ श्रंगार। ।

मीरा सिंह

- Meera Singh

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तेरा इंतजार
हाँ तुझसे प्यार न जाने कब से है
तेरी हर बात पर
मुझे ऐतबार कब से है
तेरा इंतजार
हाँ तुझसे प्यार न जाने कब से है
तेरे होठो की हंसी
नजरों में शरम
तेरे लौट आने का
मुझे इकरार कब से है
हाँ तुझसे प्यार मुझे न जाने कब से है
तेरे होठों की लरजिस पर सजे
ये मेरे अल्फाजों की बहार
न जाने कब से है
हाँ तुझसे मुझे प्यार न जाने कब से है।।


मीरा सिंह

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इस जिन्दगी में गर
कुछ रंग तुम्हारा होता।
मैं भी जीना चाहती ये जिन्दगी
इसमें गर संग तुम्हारा होता।।


मीरा सिंह

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हर शाम गुजारी है तुम बिन
दिन भी थककर कट जाता है
तुम मेरे हो पर मेरे नही
पर फिर भी तुमको चाहा है।
तेरी रातों मेें सुकूँ जहा
मेरी रातों मेें सन्नाटा है
तुम दूर हो मुझसे बहुत मगर
मैनें तुमको खामोशी से बांधा है।।
तुम मेरे नही पर मेरे हो
तुम बिन न इक पल गुजारा है
तू औरों के रातों का चाँद सही
तू मेरी जीवन रेखा है।
तुमसे उलझी है सांसे मेरी
छोड़ो तो आजाद मैं हो जाऊँ
तुम सदा यूं ही मुस्काना
मैं रोते-रोते सो जाऊं ।।

मीरा सिंह

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जिस राह पर कभी चले थे तेरे साथ
आज वही से चलकर अकेली आ रही हूँ। ।

मीरा सिंह

मेरी जिन्दगी

Hey

दिन महीने साल
गुजर जाने से क्या
किसीको भुलाया जा सकता है।
जो तुममे
तुमसे ज्यादा समाया हो
जिसके बिन अधूरा
तुम्हारा साया हो।।
जिसके जाने के बाद भी
उसी का इंतजार हो
जो किसी दूसरे का होकर भी
हरपल तुम्हारे साथ हो।
जिसके बिन जीवन न आश हो
जिसके बिना पूरी दुनिया ही
उदास हो
हाँ हाँ
वही तो प्यार है
हम्म वही तो प्यार है।।

मीरा सिंह

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हे दोस्त

कुछ अल्फाज
कुछ चंद पंक्तियाँ
कुछ ख्वाब
कुछ हसरतें
आज फिर उनकी मौत होगी
आज फिर भोर से रैन होगी।।

मीरा सिंह

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