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यूँ छोड़कर गए मेरे पापा कि मैं बहुत जल्दी जिम्मेदार हो गई आटे दाल का भाव पता चला जमाने का रंग पता चला अपना कहने वालो का ढंग पता चला कि मैं बहुत जल्दी समझदार हो गई यूँ छोड़कर गए मेरे पापा तपती जेठ की धूप में छाव का पता चला गमों की जिन्दगी में खुशी का पता चला आंखों की चमक में नमी का पता चला कि मैं बहुत जल्दी समझदार हो गई यूँ छोड़कर गए मेरे पापा।। मीरा सिंह
सब कुछ है जिन्दगी में फिर तेरी कमी क्यों लगती है। हँसी है चेहरे पर मगर आंखों में नमी क्यों लगती है।। तू दूर होकर भी बहुत करीब है मेरे मगर फिर भी ये साँसें सहमी-सहमी क्यों रहती है।। पापा----------------------------‐---------------- मीरा सिंह
जिस पल से सभी डरते है मुझे उसीका इंतजार है- "मौत " मीरा सिंह
क्या सहेजे किसे समेटे सब कुछ बिखरा पड़ा है मेरे अन्दर। कुछ बातें तुम्हारी है कुछ यादे तुम्हारी है क्या क्या समेटे तेरी यादें तेरी बातें तेरा आना तेरा जाना कभी वो मुस्कुरा देना क्या क्या समेटे तेरी आंखों की चमक मेरे दिल का अंधेरा और हर पल ये गम क्या क्या समेटे।। मीरा सिंह
Hey
बेवजह दूर हुए थे तुमसे वजहों ने वजहों से कहा अब किस वजह की तलाश है तुझे जब वो बेवजह ही खुश है , दूर तुमसे तो फिर किन वजहों की तलाश है तुझे वजहों में उलझती और सुलझती रह गई हूँ अब तो जिन्दगी की हर सांस को भी वजहों की तलाश है आखिर तू ,आखिर तू किस वजह से चल रही जब जीने की कोई वजह ही नही।। मीरा सिंह
करनी नही है कोई शिकायत मुझे तुमसे अब ये लब खामोश ही रहेंगे। तू खुदा है तो चला अपनी मर्जी हर गम हम भी बेजान होकर सहेगे।। मीरा सिंह
वृक्षों से जीवन हम सबका वृक्षों से ही हवा मिले तपती धूप से भी राहत वृक्षों की ही देन हमें। बिन मौसम बारिश का होना वृक्षों की ही कमी से है कम से कम एक वृक्ष लगाए जिम्मेदारी हम सभी की है। बच्चों को संस्कार सिखाए वृक्षों की रक्षा करना अपने जन्मदिवस पर सबको एक वृक्ष का रोपण करना। विश्व पर्यावरण के दिवस पर अपनी जिम्मेदारी पूरी करें कम से कम एक वृक्ष जरूर लगाए निवेदक-मीरा सिंह
तेरी खुशी है जिसके साथ खुदा उसे सलामत रखे। उससे क्या फर्क पड़ता हो तू हमारी खबर रखे न रखे।। मीरा सिंह
मुझे तुम्हारा सहारा नही तुम्हारा साथ चाहिए। । मीरा सिंह
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