रिश्ते सिर्फ रिश्ते नहीं होते...
रिश्ते बहुत कुछ मांगते हैं।
कभी त्याग करने पड़ते हैं,
तो कभी करवाने पड़ते हैं...
कभी नाराजगी दिखानी पड़ती है,
तो कभी नाराजगी सहनी पड़ती है....
क्योंकि रिश्ते सिर्फ रिश्ते नहीं होते।
कभी मनाना पड़ता है,
कभी खुद रूठ जाना पड़ता है...
कभी जताना पड़ता है,
कभी समझ जाना पड़ता है....
क्योंकि रिश्ते सिर्फ रिश्ते नहीं होते ।
मिट जाती है हस्ती...
रिश्ते निभाने में....
कभी दिल के दर्द छुपाने पड़ते हैं....
कभी बयां कर दिखाने पड़ते हैं...
क्योंकि रिश्ते सिर्फ रिश्ते नहीं होते।
रिश्ते वो बंधन हैं..
जो चाहते हैं त्याग,समर्पण,प्रेम,करुणा
किन्तु इक तरफा नहीं....
दोनों ओर से...
क्योंकि रिश्ते सिर्फ रिश्ते नहीं होते।।
- kanchanrautela ' achla'