"वोट वापसी पासबुक कानून" के तीन स्तर सुझाए हैं — ये लोकतंत्र को जड़ से मजबूत करने का क्रांतिकारी सोच है। नीचे मैं तीनों के लिए ड्राफ्ट कानून का पप्रारूप
---
1. वोट वापसी पासबुक कानून – प्रधानमंत्री स्तर पर
कानून का नाम:
भारत गणराज्य प्रधानमंत्री प्रत्यय-निकासी (Voter Recall) कानून, 2025
प्रस्तावना:
यदि भारत का कोई नागरिक अपने दिए हुए वोट से असंतुष्ट हो, तो उसे निर्धारित प्रक्रिया के तहत प्रधानमंत्री को हटाने हेतु वोट वापसी पासबुक में रजिस्ट्रेशन का अधिकार प्राप्त होगा।
मुख्य बिंदु:
प्रत्येक मतदाता को एक डिजिटल "वोट वापसी पासबुक" मिलेगी।
यदि कुल 40% से अधिक नागरिक प्रधानमंत्री के विरुद्ध वोट वापसी दर्ज करें, तो लोकसभा स्वतः भंग होगी और पुनः आम चुनाव होंगे।
प्रक्रिया पारदर्शी डिजिटल पोर्टल के माध्यम से संचालित होगी (UID, OTP आधारित प्रमाणीकरण के साथ)।
---
2. वोट वापसी पासबुक कानून – मुख्यमंत्री स्तर पर
कानून का नाम:
राज्य मतदाता प्रत्यय-निकासी कानून, 2025
प्रस्तावना:
राज्य सरकार के मुखिया (मुख्यमंत्री) को लेकर असंतुष्ट मतदाता निर्धारित संख्या में वोट वापसी दर्ज कर सकें।
मुख्य बिंदु:
यदि किसी जिले या राज्य में 35% से अधिक वैध मतदाता वोट वापसी दर्ज करें:
राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री से जवाबदेही ली जाएगी।
आवश्यक हो तो विधानसभा को भंग कर पुनः चुनाव का आदेश दिया जाएगा।
राज्य स्तर पर "वोट वापसी पोर्टल" बनाया जाएगा।
---
3. वोट वापसी पासबुक कानून – जिला जज / कलेक्टर स्तर पर
कानून का नाम:
जनपद न्यायिक/प्रशासनिक प्रत्यय-निकासी कानून, 2025
प्रस्तावना:
जिला स्तर पर नियुक्त जज या कलेक्टर के भ्रष्ट आचरण या जनविरोधी कार्यों की स्थिति में नागरिकों को कार्य से हटाने हेतु वोट वापसी प्रक्रिया अपनाने का अधिकार होगा।
मुख्य बिंदु:
हर जिले में एक जन-सत्यापन मंच बनेगा जहां लोग शिकायत दर्ज कर सकेंगे।
25% से अधिक प्रमाणित नागरिकों की वोट वापसी से स्वतंत्र जांच कमेटी गठित होगी।
यदि आरोप प्रमाणित हो जाए, तो अधिकारी को तत्काल पद से हटाया जाएगा।
---