वो खुश है किसी और के संग
मै खुद को समझाऊ कैसे
वो मेरा है पर मेरा नही
मैं दिल को मनाऊ कैसे
हजारों दफा मोबाइल में टाइप कियाउसका नम्बर
मगर मैं उसे फोन लगाऊ कैसे
कभी जहाँ साथ में दो पल बिताए थे
वही से उसे याद किए बिना गुजर जाऊँ कैसे
दिल चाहता है उसे गले लगाकर रो लूँ
पर वो किसी और का है मैं ये भूल जाऊँ कैसे
उसके नाम का पासवर्ड लगाकर रखा है मोबाइल में
वो मैं सबको बताऊँ कैसे
वो किसी और का हो बैठा है
मैं ये मन को समझाऊ कैसे
जो दर्द उसने दिया मुझे
मैं भी वही दर्द उसे दे जाऊँ कैसे
मैं किसी और की हो जाऊँ कैसे
जिन आंखों से देखे है ख्वाब उसके
उन पलकों को मैं झपकाऊ कैसे
मैं खुद को समझाऊ कैसे।।
मीरा सिंह