आसमां से तोड़ कर कुछ अनगिनत तारे जमीं पर ले आएंगे
तुम मुझे ढूंढ न पाओ कुछ ऐसी सफर तय कर जायेंगे
मिलते हैं मुसाफ़िर बनकर यूं ही अंजाने रास्तों पर
भूल कर भी दिल किसी और से तुम्हारे सिवा न लगायेंगे
हम इतनी दूर चले जायेंगे,जहां से यादें भी सफर कर न पायेंगे....
मुझे पता है थोड़ी नाराज़गी है अभी मुझसे पर तुम्हे मनाने आयेंगे
लेकर तौफ़ा दिल का तुम्हें सौंप जायेंगे
छूना चाहे कोई तकलीफ तुम्हे खुद के आंसुओं से मिटा जायेंगे
मज़बूरी है कुछ मेरी अभी कैसे समझाऊं?
गर किसी से नजरे मिली तो मेरी पलकें शर्मा आवाज तुम्हे दे जायेंगे
हम इतनी दूर चले जायेंगे,जहां से यादें भी सफर कर न पायेंगे....
पता है, मैं आज भी रोई हूं.. दिल की धड़कन को थोड़ी बढ़ाई हूं
घबराहट इस तरह से हो रही है मुझे जैसे मेरा आखिरी दिन हो
पर शायद आंखों में वही तस्वीर तेरा मुस्कुराता हुआ छोड़ जायेंगे
हां, थोड़ी जिद्दी बन गई हूं शायद तुम्हारे दर्दों को भूल रही हूं
क्या ऐसा लगता है तुम्हे ? ये सवाल मैं खुद से ही पूछ रही हूं
सुनो मैं भूल नहीं सकती तकिए तले दबे आंसुओं को
गर ऐसा हुआ खुद से रिश्ता तोड़ जायेंगे
हम इतनी दूर चले जायेंगे,जहां से यादें भी सफर कर न पायेंगे....
_Manshi K
Dated: 24.02.2025