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" दिल उदास बहुत है..." ********************* दिल उदास बहुत है, ना शोर है, ना सन्नाटा, बस एक खामोशी है जो हर बात से गहरी लगती है..... ना कोई शिकायत, ना कोई सवाल किया है, बस खुद से ही आजकल कुछ कम मिला किया है.... रौशनी पास है, फिर भी अंधेरा लगता है, कभी-कभी तो अपना ही चेहरा पराया लगता है..... कोई अपना समझे तो बात बन जाए, पर अब कोई बिना मतलब के कहाँ पास आता है? खुश रहने की कोशिश में थक सा गया है दिल, हर मुस्कान के पीछे छुपा सागर बहा दिया है दिल.... दिल उदास बहुत है, पर फिर भी धड़कता है, क्योंकि उम्मीद अब भी कहीं अंदर चमकता है..... _Manshi K
कुछ यूँ बदल रहा है सब कुछ अब हालातों की तरह, चेहरे मुस्कुरा रहे हैं मगर जज़्बातों की तरह.... रिश्ते भी अब सवालों में उलझने लगे हैं, जवाब नहीं मिलते, बस खामोश रातों की तरह... कल तक जो अपने थे, अब अजनबी से लगे, वो भी मिले हैं हमसे अब रस्मों-रिवाजों की तरह.... हमने भी खुद को कुछ इस कदर सहेजा है, टूट कर भी दिखते हैं सही, किताबों की बातों की तरह... कुछ यूँ बदल रहा है वक़्त अपने ही रंग में, हर लम्हा बीत रहा है, अधूरी मुलाक़ातों की तरह... - Manshi K
मैं चुप रही, क्योंकि शोर से तुझे फर्क नहीं पड़ता था मैं टूटी, क्योंकि तुझे संभालना ज़्यादा ज़रूरी था... मैंने खुद को पीछे रख दिया हर बार, और तुझे लगता रहा... मैं बदल गई हूँ.... क्यों तुम मेरी खामोशी को भी पढ़ न पाया? - Manshi K
कुछ बोला नहीं मैंने, मगर बहुत कुछ कहना था, तेरी हर बात पे मुस्कुराई, पर हर बार रोना भी आया था.. मैंने अपने जज़्बात छुपा लिए एक मुस्कान के पीछे, क्योंकि तुझे खो देने का डर... मुझसे कहा भी नहीं गया था... - Manshi K
एक ख़त जो लिखा नहीं मैंने, पर हर रोज़ दिल में मेरे उतरता गया हर अल्फ़ाज़ तेरे नाम से भीगा, हर खामोशी में तुमसे मिलता रहा ... कागज़ की जगह साँसों ने थामा, स्याही थी वो यादें जो अब भी नम हैं.... लफ़्ज़ नहीं थे, बस जज़्बात बहते रहे, तू दूर था, पर एहसास हरदम पास आकर लिपटा रहा..... कभी रोते हुए सोचा तुझे भेज दूँ, अधूरे पड़े शब्दों को समेट लूं पर ये ख़त अब सिर्फ़ मेरे लिए है.. तेरी बेख़बरी में भी बसा तेरा नाम है, ये मोहब्बत मेरी ज़िंदगी लिए अब भी तेरे साथ है... _Manshi K
कब्र की नुमाइश अब करते हैं, जैसे जज़्बातों को दफ़्न किया हो हमने... हर पत्थर पे नाम लिखा है उनका, जिन्होंने ज़िंदा रहते मुझसे सवाल किया हो.... अब फूल चढ़ते हैं हर जनाज़े पे, पर ज़िन्दा दिलों को कांटे ही मिलते हैं... हमने देखा है मोहब्बत के शहर में, लाशें बोलती हैं, और ज़िन्दा लोग चुप रहते हैं... - Manshi K
कुछ लफ्ज़ थे जो कहे नहीं, कुछ आंसू थे जो बहे नहीं... वो जो गया छोड़कर मुझे, अब तक उसे हम भूले नहीं.. - Manshi K
जो लब मुस्कुराते हैं, वो हर दर्द छुपाते हैं, हर मुस्कान के पीछे टूटे हुए रिश्ते होते हैं.. - Manshi K
सोचो! कोई सोचता क्यों नहीं है? मैं हूं क्या ? कोई बताता क्यों नहीं है? अधूरे शब्दों का लहजा तो समझ आता है मुझे पर मैं खुद को समझ आती क्यों नहीं? मैं शब्दों का मोल भाव करने लगी हूं मैं गलत क्यों सही होकर भी बताई जाती हूं? मन का व्यथा बताऊं किससे झूठा दिखाई मेरा अस्तित्व देता है ...... बहुत सवाल है ए खुदा तुम से पर जवाब तुम भी मुझे दे नहीं पाओगे उलझन बहुत बड़ी है खुद को कैसे समझाओगे मैं तो हूं ही गलत सही कैसे बताओगे?? _Manshi K
मजबूरियों के हाथों बिक जाना सही लगता है.. पर हकीकत को ख्वाब समझना इंसान को तोड़ देता है.. _Manshi K
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