*दोहा-सृजन हेतु शब्द*
*कुंभ, प्रयाग, त्रिवेणी, संक्रांति, गंगा*
भजो तुम प्रभु को भाई, करेंगे राम भलाई....
महा- *कुंभ* का आगमन, बना सनातन पर्व।
सकल विश्व है देखता, करता भारत गर्व।।
*प्रयाग* राज में भर रहा, बारह वर्षीय कुंभ।
पास फटक न पाएगा, कोई शुंभ-निशुंभ।।
गँगा यमुना सरस्वती, नदी *त्रिवेणी* मेल।
पुण्यात्माएँ उमड़तीं, धर्म-कर्म की गेल।।
सूर्य देव उत्तरायणे, मकर *संक्रांति* पर्व।
ब्रह्म-महूरत में उठें, करें सनातन गर्व।।
*गंगा* तट की आरती, लगे विहंगम दृश्य।
अमरित बरसाती नदी,कल-कल करती नृत्य।।
मनोज कुमार शुक्ल *मनोज*