✤┈SuNo ┤_★_🦋.
रोज ही टूटता हूँ फिर रोज ही ख़ुद
को सँवारता हूँ"
जैसे शब्दों का टूटकर अपने आप
में ही बिखर जाना होता है,
वैसे ही रोज-रोज टूटकर स्वयं को
ही मैं सँवारता हूँ"
हवा का झोंका हूँ इसलिए उड़ा
चला जा रहा हूँ,
यह भी पता है मुझे कि, मंजिल
पर ही है अब मुझे ठहरना"
पल भर की यह ज़िन्दगी का सफर
कभी मजबूरियाँ बनकर तो,
कभी गम की हँसी बनकर सिखा
जाती है मुझे हर रोज टूटकर फिर
से सँवरना"
ये बिखरना भी अब मुझे अखरता
नहीं क्योंकि सीख चुका हूँ अब मैं
भी इस ज़िन्दग़ी को परखना..🔥
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@LoVe_AaShiQ_SinGh
♦❙❙➛ज़ख्मी ऐ ज़ुबानी•❙❙♦
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